सभी लोग मानसून का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि बारिश होने से गर्मी से राहत के साथ-साथ किसानों को भी फायदा होता है. लेकिन राहत के साथ साथ समस्या भी झेलनी पड़ती है. इसमें बारिश की नहीं बल्कि नगर परिषद और निगम की गलती है. हर साल मानसून से पहले प्रशासन दावा करता है कि इसबार शहर में जलजमाव से निपटने के लिए पूरी तैयारी है लेकिन ऐसा होता नहीं दिखता है. इसका उदाहरण इस तस्वीर में देखने को मिल जाएगा।
अस्पताल परिसर जलमग्नः यह तस्वीर किसी स्वीमिंग पुल की नहीं बल्कि मधेपुरा सदर अस्पताल की है जहां हर दिन हजारों मरीज अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. नजारा देखने के बाद यही समझ में आता है कि मानसून से पहले नगर परिषद हाथ पे हाथ रखे बैठी रहती है. मानसून की पहली बारिश में ये हाल है तो पता नहीं आगे क्या होने वाला है. ‘ऐसा लगता है आगे से मरीज को एंबुलेंस नहीं बल्कि नाव में अस्पताल आना पड़ेगा’, ऐसा हम नहीं बल्कि अस्पताल आने वाले मरीज कहते हैं।
कई वार्डों में घुसा पानीः बता दें कि मधेपुरा में बीते दो दिनों से रुक रुककर बारिश हो रही है. बारिश के कारण पूरा सदर अस्पताल पूरी तरह से जलमग्न हो गया है. सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड, ऑपरेशन थिएटर, प्रसव कक्ष, प्रसूति वार्ड के साथ जनरल वार्ड में भी पानी प्रवेश कर गया. यही नहीं शिशु वार्ड के गेट तक पानी पहुंच गया है. जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर भी असर पर सकता है. परिसर में पानी घूसने के कारण मरीजों की समस्या बढ़ गयी है।
पंप के सहारे जल निकासीः जलजमाव के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से पंप के जरिए पानी को बाहर निकालने का प्रयास शुरू किया गया. इस दौरान नगर परिषद की ओर से भी पंप लगवाए गए लेकिन परिसर में इतना ज्यादा पानी जमा है कि इसे निकालने में पूरे दिन लग जाएंगे. इधर रुक-रुककर बारिश होने से जलजमाव बढ़ता जाएगा।
जलजमाव की समस्याः इलाज कराने के लिए पहुंचे मरीज के परिजन ने बताया कि बारिश के कारण सदर अस्पताल परिसर में घूटनाभर पानी जम गया है. अभी और बारिश होने वाली है. पहली बारिश में ही यह हाल है तो पता नहीं आगे क्या होगा? लोगों का कहना है कि नगर परिषद कोई काम नहीं करता है. नगर परिषद हर साल जल निकासी का प्लान बनाती है और सदर अस्पताल में हर साल जलजमाव की समस्या होती है।