Entertainment

मैथिली सिनेमा और भाषाई मोर्चे को दो जिलों से निकलना होगा – फिल्म निर्देशक एन मंडल

 

Entertainment : भारत सरकार साहित्य अकादमी, नई दिल्ली एवं ईस्ट एंड वेस्ट टीचर ट्रेनिंग कॉलेज सहरसा द्वारा एक दिवसीय परिसंवाद ‘’मैथिली सिनेमा और साहित्य’’ में युवा फिल्म निर्देशक एन मंडल ने कहा की मैथिली सिनेमा आधी सदी से भी अधिक समय से अपनी यात्रा पर है, दुर्भाग्य है की मैथिली सिनेमा एक व्यावसायिक बाजार विकसित नहीं कर पाया है। मैथिली भाषा का अपना प्रचुर साहित्य और अनूठी संस्कृति है, जरूरत इस बात की है कि इसका अच्छे से फिल्मांकन और विपणन किया जाए।

मैथिली साहित्य की विभिन्न विधाएँ तथाकथित मानक मैथिली में उलझी हुई हैं और मिथिला के लोगों के बीच भी प्रसिद्ध नहीं हैं। आपको बता दे श्री एन मंडल आगे बताते हुए कहा की मैथिली सिनेमा कुछ जिलों तक ही सीमित हैं और मैथिली की अधिकांश फिल्में और भाषाई मोर्चे भी उलझी हुई हैं, जबकि हमारे पास भारत और नेपाल का विशाल क्षेत्र मिथिला है। हमें उन कारणों की तलाश करनी होगी कि क्यों मैथिली सिनेमा मिथिला के दो जिलों तक ही सीमित है।

IMG 20231004 WA0011

श्री मंडल ने कहा है कि शुद्ध मैथिली और अशुद्ध बोली की बात ने मैथिली के सन्दर्भ में इतना भ्रम फैला दिया है कि सिनेमा भी इसके प्रभाव से मुक्त नहीं हो सका ह। अब जरूरत इस बात की है कि मैथिली सिनेमा संपूर्ण मिथिला का प्रतिनिधित्व करे, संवाद भाषा के स्तर पर हो, फिल्म के पात्र मिथिला के विभिन्न क्षेत्रों से हों और उसी के अनुसार उस क्षेत्र की भाषा शैली पात्रों के संवाद में आये। यदि ऐसा किया गया तो समाज के हर वर्ग के लोग निश्चित रूप से मैथिली फिल्मों को अपनी फिल्म मानेंगे और एक व्यावसायिक माहौल अपने आप बन जाएगा।

इसी तरह मैथिली सिनेमा की लोकप्रियता बढ़ाने और एक नई शुरुआत करने के लिए मिथिला के विभिन्न क्षेत्रों से अभिनेताओं और अभिनेत्रियों का चयन किया जाना चाहिए और विभिन्न जिलों के उपयुक्त स्थानों का फिल्मांकन में उपयोग किया जाना चाहिए।

मैथिली साहित्यिक परिदृश्य में ऐसी कई रचनाएँ हैं जिनकी पटकथा तैयार की जा सकती है और उन पर फ़िल्में बनाई जा सकती हैं। इस दिशा में भी पहल की जरूरत है। एक बात ध्यान रखने वाली है कि हमें व्यावसायिक विकल्प तलाशने चाहिए लेकिन मैथिली सिनेमा को अश्लीलता की ओर बिल्कुल नहीं ले जाना चाहिए।

जब मैथिली सिनेमा संवाद और परिवेश की दृष्टि से दरभंगा, पूर्णिया, बेगुसराय, समस्तीपुर जनकपुर आदि सभी जगहों को शामिल होने लगेगा तो मैथिली सिनेमा अपने आप सफलता की ओर बढ़ने लगेगा। सीतामढी मिथिला का सबसे बड़ा फिल्म व्यवसाय केंद्र है, लेकिन मैथिली फिल्में आज तक वहां नहीं पहुंच सकी हैं. इसका कारण और निवारण खोजना आवश्यक है।

आपको बता दे ये सारी बाते युवा फिल्म निर्देशक एंव एडिटर में भारत सरकार साहित्य अकेडमी का कार्यकर्म में की, एन मंडल प्रथम सत्र के वक्ता के रूप में थे, एन मंडल समस्तीपुर जिला बिहार से है।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Kumar Aditya

Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी स्पैम कॉल : दूरसंचार कंपनियों ने 50 संस्थाओं को बैन किया, 2.75 लाख कनेक्शन काटे भागलपुर : युवक का अवैध हथियार लहराते फोटो वायरल भागलपुर में पार्षद नंदिकेश ने तुड़वाया वर्षों से बंद पड़े शौचालय का ताला ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से स्कूल परिसर में किया पौधारोपण CM नीतीश कुमार पहुंचे रोहतास