मकर संक्रांति का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। हालांकि अलग अलग राज्यों में इसे अलग नाम और तरीके से मनाया जाता है। इस साल 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन को ‘संक्रांति’ के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। वहीं सूर्य उत्तर दिशा को ओर बढ़ना शुरू कर देते हैं। जिसे सूर्य उत्तरायण कहते हैं। इस दिन स्नान, दान और खास पकवान खाने और बनाने का महत्व है। जानिए मकर संक्रांति को किस राज्य में किस नाम और परंपरा के साथ मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति और खिचड़ी
उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति और खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है। कुछ शहरों में मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है। उत्तर भारत में इस दिन उड़द दाल और चावल की खिचड़ी खाई जाती है। इस दिन तिल, गुड़ और मूंगफली का महत्व होता है। स्नान के बाद लोग दान करते हैं और फिर घी के साथ खिचड़ी खाते हैं।
गुजरात में उत्तरायण
गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। बड़े धूमधाम के साथ यहां उत्तरायण का त्योहार मनाया जाता है। 2 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में यहां काइट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। इस खासमौके पर उंधियू और गुड़ की चिक्की खाने का महत्व है।
पंजाब-हरियाणा में माघी और लोहड़ी
पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति को माघी लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। हालांकि लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। आग जलाकर उसके आसपास घूमते हुए पूजा की जाती है फिर रेवड़ी, मूंगफली और पॉपकॉर्न बांटे जाते हैं।
तमिलनाडु में पोंगल
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति को पोंगल के नाम से जाना जाता है। पोंगल को लेकर बड़ा उत्साह होता है इसे पूरे 4 दिनों तक मनाया जाता है। जिसमें पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल के तौर पर आयोजन होता है। यहां रंगोली बनाई जाती है। खास पकवान चावल की मीठी गुड़ वाली खीर बनाई जाती है।
केरल में विलक्कू
मकर संक्रांति को केरल में मकर विलक्कू के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खासतौस से लोग सबरीमाला मंदिर के पास मकर ज्योति के दर्शन करते हैं। सूर्य देव की उपासना की जाती है।
कर्नाटक में एलु बिरोधु
मकर संक्रांति को कर्नाटक में ‘एलु बिरोधु’ कहा जाता है। इस दिन कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन यहां महिलाएं आसपास के करीब 10 परिवारों के साथ एलु बेला यानि ताजा फल, गन्ने, तिल, गुड़ और नारियल का आदान-प्रदान करती हैं।