दिल्ली में रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। बीजेपी ने व्यापारियों, महिलाओं को खुश करने के साथ ही केजरीवाल के जातीय समीकरा की काट भी खोज ली। बीजेपी ने इस फैसले से अपनी सामाजिक और राजनीतिक समकरणों को साधने की कोशिश की है।
- बीजेपी के लिए रेखा गुप्ता को सीएम बनाना सबसे बेहतरीन निर्णय है। इसकी वजह भी है क्योंकि पार्टी की 20 से अधिक राज्यों में सरकार है, लेकिन एक भी राज्य में महिला सीएम नहीं है। इसके बाद महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का फैसला भी मोदी सरकार ने किया है। ऐसे में बीजेपी को अपने आप को साबित भी करना था। वहीं दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनाने महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
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रेखा गुप्ता की छवि शांत और बेदाग छवि की है। प्रवेश वर्मा या अन्य किसी नेता के सीएम बनने पर विपक्ष को हमला करने का मौका मिल सकता था। रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर बीजेपी ने आप को आलोचना करने का कोई मौका नहीं दिया। इसके अलावा रेखा गुप्ता की छवि घेरलू महिला की है। वे महिलाओं की समस्याओं को करीब से समझ सकती है। यह छवि महिला मतदाताओं को अहसास दिलाएगी कि उनकी मुख्यमंत्री हम में से कोई है।
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दिल्ली में वैश्य समुदाय मजबूत वोट बैंक माना जाता है। यह वोट बैंक लंबे समय से बीजेपी को वोट देता आया है। रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर बीजेपी व्यापारियों को खुश रख सकती है। दिल्ली चुनाव में बीजेपी व्यापारियों की सीटें चांदनी चौक, करोल बाग और सदर बाजार में हार गई। ऐसे में व्यापारियों के बीच बीजेपी अगले चुनाव तक और मजबूती से उभर सकती है।
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बीजेपी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उसकी पार्टी में आम कार्यकर्ता भी बड़े से बड़े पद पर पहुंच सकता है। कोई भी पार्टी में बड़ा पद पा सकता है। बीजेपी जो भी काम करती है, उसमें आम कार्यकर्ताओं का बहुत सम्मान है।
रेखा गुप्ता को सीएम बनाना बीजेपी के लिए मजबूरी भी था और जरूरी भी। बीजेपी ने इस एक कदम से कई निशाने साधे हैं। अब देखना यह होगा कि बीजेपी अपने वादों पर कितना खरा उतर पाती है। स्पेशली यमुना जी की सफाई और महिलाओं से किए गए वादे।
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