‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर जारी कवायद के बीच कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विचार का विरोध करते हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस विचार को दरकिनार कर हाई पावर कमेटी को भंग किया जाए. मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बाबत ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए उच्च स्तरीय समिति के सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि कांग्रेस ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के विचार का कड़ा विरोध करती है.
दरअसल, मल्लिकार्जुन खड़गे का यह पत्र ऐसे वक्त में आया है, जब बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख रामनाथ कोविंद ने एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों (सीईसी) और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श शुरू किया. उनकी बैठकें समिति द्वारा इस मुद्दे पर जनता की राय मांगने के कुछ दिनों बाद हुई हैं.
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख राष्ट्रपति कोविंद ने बुधवार को दिल्ली में मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी से मुलाकात की. बयान में कहा गया कि एक राष्ट्र एक चुनाव पर विचार-विमर्श जारी रखते हुए उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष कोविंद ने दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोरला रोहिणी और पूर्व सीईसी सुशील चंद्रा के साथ चर्चा की.
जब चंद्रा और न्यायमूर्ति रोहिणी ने कोविंद से मुलाकात की तब विधि सचिव नितेन चंद्रा भी मौजूद थे. चंद्रा उच्च स्तरीय समिति के सचिव भी हैं. इसमें कहा गया है कि परामर्श प्रक्रिया आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी. सूत्रों ने कहा कि चंद्रा ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि इससे शासन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी क्योंकि सरकारों को नीतियां बनाने और लागू करने के लिए अधिक समय मिलेगा.
समझा जाता है कि उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने से जनता की असुविधा कम होगी, मानव संसाधनों के उपयोग में सुधार होगा और बार-बार चुनाव कराने पर होने वाले खर्च में कमी आएगी. समिति पहले ही इस मुद्दे पर आम जनता और राजनीतिक दलों से सुझाव मांग चुकी है और उनपर विचार कर चुकी है. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, संवैधानिक विशेषज्ञों और पूर्व सीईसी सहित प्रख्यात न्यायविदों से भी उनके विचार जानने के लिए संपर्क किया गया है.
पिछले साल सितंबर में गठन के बाद से समिति की अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं. इसने हाल में राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर एक साथ चुनाव कराने के विचार पर उनकी राय मांगी थी और ‘परस्पर सहमत तिथि’ पर बातचीत के लिये कहा था. बाद में समिति ने पार्टियों को एक अनुस्मारक भेजा था. छह राष्ट्रीय पार्टियों, 33 राज्य स्तरीय दलों और सात पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों को पत्र भेजे गए. समिति ने एक साथ चुनाव कराने पर विधि आयोग के विचार भी सुने हैं। इस मुद्दे पर दोबारा विधि आयोग से राय ली जा सकती है.