महिला सुरक्षा पर सख्त कानून बनाने मांग को लेकर ममता बनर्जी ने फिर लिखी PM मोदी को चिट्ठी

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कोलकाता: आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दरिंदगी का मामला देश में पिछले एक महीने से चर्चे में है। इस घटना का आरोप कई लोग अस्पताल प्रशासन पर लगा रहें हैं, तो वहीं कुछ लोगों ने इसे ममता सरकार की विफलता बताई है। हालांकि खुद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मामले पर झंडा पकड़े सड़क पर उतर गयीं। वहीं अब सीएम बनर्जी ने महिला सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। हालांकि इससे पहले भी उन्होंने पीएम मोदी से महिलाओं के साथ गलत करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की थी।

इस बात की जानकारी देते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया है। उन्होंने बताया, “मैंने यह पत्र भारत के माननीय प्रधानमंत्री को अपने पहले लिखे पत्र के सिलसिले में लिखा है। यह उस संदर्भ में दूसरा पत्र है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में सीएम बनर्जी ने कहा, आदरणीय प्रधानमंत्री कृपया मेरे पत्र संख्या 44-सीएम दिनांक 22 अगस्त, 2024 (प्रतिलिपि संलग्न) को याद करें, जिसमें बलात्कार की घटनाओं पर कड़े केंद्रीय कानून की आवश्यकता और ऐसे अपराधों के अपराधियों को अनुकरणीय दंड देने की आवश्यकता है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर आपकी ओर से कोई उत्तर नहीं मिला। हालाँकि, महिला एवं बाल विकास मंत्री, भारत सरकार से एक उत्तर प्राप्त हुआ है (उनके संख्या 1/RESC/HMWCD/2024 दिनांक 25 अगस्त 2024 के अनुसार), जो मेरे पत्र में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता को बमुश्किल ही दर्शाता है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगे लिखा, मेरा विचार है कि इस सामान्य उत्तर को भेजते समय विषय की गंभीरता और समाज के लिए इसकी प्रासंगिकता को पर्याप्त रूप से नहीं समझा गया है। इतना ही नहीं, मैं इस क्षेत्र में हमारे राज्य द्वारा पहले ही की गई कुछ पहलों का भी उल्लेख करना चाहूँगी, जिन्हें उत्तर में अनदेखा किया गया प्रतीत होता है। फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (FTSCs) के संबंध में, राज्य सरकार द्वारा 10 विशेष POCSO न्यायालयों को मंजूरी दी गई है। इसके अतिरिक्त, पूरे राज्य में 88 FTSC और 62 POCSO नामित न्यायालय पूर्णतः राज्य वित्तपोषित हैं। मामलों की निगरानी और निपटान पूरी तरह से न्यायालयों के हाथ में है।

उन्होंने कहा, केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, केवल सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को ही FTSC में पीठासीन अधिकारी के रूप में तैनात किया जा सकता है, लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है कि मामलों की गंभीरता को देखते हुए स्थायी न्यायिक अधिकारियों को तैनात करने की आवश्यकता है। इसके लिए भारत सरकार के स्तर पर जांच और उसके बाद उचित कार्रवाई की आवश्यकता है, जिसके लिए आपका हस्तक्षेप आवश्यक होगा। इसके अलावा, हेल्पलाइन नंबर 112 और 1098 राज्य में संतोषजनक रूप से काम कर रहे हैं। इसके अलावा, आपातकालीन स्थितियों में डायल 100 का भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

उन्होंने आगे लिखा, मैं पुनः आग्रह करती हूँ कि कृपया बलात्कार/बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर कठोर केंद्रीय कानून और अनुकरणीय दंड पर विचार करें, जिसमें ट्रायल अधिकारियों द्वारा मामलों को एक निश्चित समय-सीमा में निपटाने का अनिवार्य प्रावधान हो। मुझे उम्मीद है कि हमारे समाज के हित में इस मामले पर आपकी ओर से बहुत विचारपूर्वक ध्यान दिया जाएगा।

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