पटना: पूर्व मुख्यमंत्री सह हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किये जाने को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि यह विधेयक बहुत पहले आना चाहिए था. बता दें कि महिला आरक्षण बिल 27 साल से अटका पड़ा था. 1996 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार में इस बिल को पहली बार लाया गया था. साल 2010 में ये बिल यूपीए सरकार में राज्यसभा से पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा में इसे पेश नहीं किया गया।
जीतनराम मांझी ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने 56 इंच के सीना को जस्टिफाई किया है. वह और भी अच्छा काम कर सकते हैं. जनगणना होगी उसके बाद लागू हो जाएगा. जो बिल वर्षों से अटका था उसको पीएम ने लाकर बड़ा काम किया है. इस बिल को लेकर महिलाओं में काफी खुशी है।
ललन सिंह ने इसे चुनावी जुमला बताया था, इस पर मांझी ने कहा उनके पास बोलने के लिए और क्या है. वे लोग सरकार में थे तो क्या किया था आज जुमला की बात तो करेंगे ही. एससी-एसटी को दरकिनार करने के सवाल पर मांझी ने कहा किसी को दरकिनार नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि ईबीसी और बैकवर्ड का मामला अटका है. संविधान में इन लोगों के लिए कोई प्रोविजन नहीं था. उन्होंने उम्मीद जतायी कि जो बैकवर्ड क्लास के लिए जो मांगे चल रही है नरेंद्र मोदी विचार करेंगेए।