देश में डिजिटलाइजेशन बढ़ने के कारण फिनटेक कंपनियों में काफी अच्छी वृद्धि देखने को मिली है। इसी का असर है कि 35 से ज्यादा फिनटेक कंपनियां (500 मिलियन या उससे अधिक वैल्यूएशन वाली) अगले कुछ वर्षों में अपना आईपीओ लाने की योजना बना रही हैं। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) और जेड47 (एफकेए मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पब्लिक इश्यू जारी करने के लिए कंपनियों को नियमों के अनुपालन के साथ एक मजबूत लीडरशिप की आवश्यकता होती है। केवल 40 से 60 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि वे आईपीओ के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में लिस्ट हुई करीब 70 प्रतिशत फिनटेक कंपनियों के शेयरों की कीमत में लिस्टिंग के छह महीने के अंदर ही गिरावट देखने को मिली है। साथ ही कहा कि कंपनी के सामने प्रभावी मैनेजमेंट, मुनाफा कमाना और लगातार वैल्यू क्रिएट करना एक बड़ी चुनौती होती है। भारतीय स्टार्टअप आमतौर पर यूनिकॉर्न बनने के बाद 3.5 से लेकर 4 वर्ष में आईपीओ लॉन्च कर देते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में 100 अरब डॉलर से ज्यादा की वैल्यू भारतीय फिनटेक सेक्टर ने पैदा की है। इसमें आने वाले समय में वृद्धि की और संभावना है। अगले 3 से 5 दशक में भारत का फिनटेक सेक्टर 600 अरब डॉलर से ज्यादा की वेल्थ क्रिएट कर सकता है। बीते चार वर्षों में भारत में फिनटेक की संख्या बढ़कर चार गुना हो गई है। वहीं, इस दौरान यूनिकॉर्न और सूनीकॉर्न की संख्या बढ़कर तीन गुना हो गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में रिटेल अनसिक्योर्ड लोन की पहुंच केवल 9 प्रतिशत है, जो कि अमेरिका में 259 प्रतिशत और यूके में 173 प्रतिशत है, जो दिखाता है कि इस क्षेत्र में वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। भारत में म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या मार्च 2020 के बाद से दोगुनी होकर 18 करोड़ हो गई है, जो कि पहले 9 करोड़ थी।