कोरोना के दौरान लखनऊ जेल से पैरोल पर गए कई कैदी फरार, 2021 में 90 दिन के लिए हुए थे रिहा और अब भी गायब
साल 2020 में जब कोरोना ने भारत में तांडव मचाना शुरू किया था तब किसी को कुछ समझ में नहीं आया था। किसी को यह भी नहीं मालुम था कि इसे रोकने के लिए क्या करना चाहिए। सावधानी ही इससे बचाव का तरीका था। सरकार ने इसके लिए तमाम कदम उठाए। इसी में से एक कदम जेलों में कोरोना फैलने से बचाने के लिए भी उठाया गया। कई जेलों से कैदियों को कुछ दिनों के लिए पैरोल पर रिहा किया गया। जिन्हें तय समय के बाद वापस लौट आना था। ऐसे ही कैदी उत्तर प्रदेश की लखनऊ जेल से रिहा किए गए थे, जिसमें से कुछ तो लौट आये बल्कि कुछ आज भी गायब हैं।
कोविड महामारी के दौरान रिहा किए गए 43 कैदी जेल नहीं लौटे
उत्तर प्रदेश में कोविड महामारी के दौरान रिहा किए गए 43 कैदी जेल नहीं लौटे हैं। राज्य की अधिकांश जेलों में क्षमता से अधिक भीड़ होने के कारण संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कई कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था। महामारी खत्म होने के बाद ज्यादातर कैदी वापस लौट आए, लेकिन लखनऊ जेल से रिहा हुए 43 कैदी लापता हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए संबंधित जेल प्रशासन कई बार पत्र लिख चुका है, फिर भी पुलिस डेढ़ साल से लापता कैदियों को नहीं पकड़ सकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था कैदियों को रिहा करने का आदेश
गौरतलब है कि महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सात साल तक की सजा वाले कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया था। इसलिए सरकार में गठित हाई पावर कमेटी की अनुशंसा पर 20 मई 2021 को लखनऊ की जिला जेल में बंद कुल 122 कैदियों को 90 दिनों के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था। बाद में कोरोना के बढ़ते ग्राफ के कारण कैदियों की पैरोल अवधि बढ़ा दी गई थी। वहीं, पैरोल पर जाने के दौरान जेल प्रशासन ने कैदियों को सख्त निर्देश दिया था कि पैरोल खत्म होने के बाद सरकार की ओर से आदेश जारी होते ही सभी को जेल वापस लौटना होगा।
सभी को 20 जुलाई 2021 तक जेल लौटने का था निर्देश
सरकार ने आदेश जारी कर सभी को 20 जुलाई 2021 तक जेल लौटने का निर्देश दिया था। पैरोल की अवधि पूरी होने के बाद केवल 79 कैदी लखनऊ जेल लौटे, जबकि 43 कैदी लापता हैं। जेल प्रशासन की रिपोर्ट पर लापता कैदियों की गिरफ्तारी के लिए शासन स्तर से कई बार पुलिस को निर्देश दिए गए। जिला जेल लखनऊ के जेलर राजेंद्र सिंह ने बताया कि लापता कैदियों की गिरफ्तारी के लिए शासन के साथ ही संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा जा रहा है।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.