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चंद्रयान-3 अभियान में कई वैज्ञानिकों का है बड़ा हाथ, मिशन में लगी है इन सभी की मेहनत; पढ़े पूरी रिपोर्ट

ByKumar Aditya

अगस्त 23, 2023
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चंद्रयान 2 के फेल होने के करीब 4 साल बाद इसरो स्पेस साइंस में इतिहास रच दिया है। आज शाम 5 बजकर 45 मिनट पर चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की ओर बढ़ना शुरू किया। इसके बाद शाम 6 बजकर 4 मिनट पर इसरो इसकी सॉफ्ट लैंडिंग करा दी है। इस सफल लैंडिंग के बाद भारत दुनिया की चौथी स्पेस महाशक्ति बनकर उभरा है। साथ ही चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडर उतारने वाला पहला देश बन गया है। बता दें कि आज भारत ने ये इतिहास रचा है और इसके पीछे इसरो के टीम की सालों की मेहनत है। आइए जानते हैं कि इस टीम में कौन-कौन शामिल हैं।

इसरो अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ

इसरो के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ का चंद्रयान-3 में सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। इनके ही नेतृत्व में चंद्रयान 3 मिशन चांद तक पहुंचा है। बता दें कि डॉ एस सोमनाछ ने व्हीकल मार्क 3 डिजाइन किया, जिसे बाहुबली रॉकेट नाम दिया गया और इसी रॉकेट ने ही चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाया है। बता दें कि एस सोमनाथ ने पिछले साल जनवरी में ही इसरो का नेतृत्व संभाला है। इससे पहले एस सोमनाथ ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के डायरेक्टर के रूप में काम किया है। इनके ही नेतृत्व में ही आदित्य-एल 1 (सूरज का अध्ययन करने के लिए मिशन) और गगनयान (देश का पहला मानव मिशन) भी चल रहा है।

पी. वीरमुथुवेल

पी वीरमुथुवेल ने साल 2019 में चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली है। इससे पहले ये इसरो में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में डिप्टी डायरेक्टर का पद संभाला था। पी वीरमुथुवेल ने चंद्रयान- 2 में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई थी।

एम. शंकरन

एम शंकरन को जून 2021 में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) का डायरेक्टर बनाया गया। यूआरएससी के पास इसरो के लिए देश के सभी सैटेलाइट के डिजाइन और मैन्यूफैक्चरिंग का काम है। अभी वर्तमान में शंकरन ऐसे सैटेलाइट पर काम कर रहे हैं जो कम्यूनिकेशन, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और ग्रहों की खोज समेत देश की कई जरूरतों को पूरा कर सके।

एस. उन्नीकृष्णन नायर

एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ एस उन्नीकृष्णन स्पेस में देश के मानव मिशन की अगुवाई कर रहे हैं। ये रॉकेट के डेवलप और मैन्यूफैक्चर से जुड़े विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर हैं। इन्होंने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-III को विकसित किया है, जिसे अब लॉन्च व्हीकल मार्क-III  कहा जाता है। एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम इस महत्वपूर्ण मिशन के विभिन्न पहलुओ पर ध्यान दे रहे हैं।

कल्पना के.

चंद्रयान-3 मिशन में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ कल्पना नारी शक्ति का उदाहरण हैं। कोविड-19 महामारी के वक्त भी इन्होंने अपने मून मिशन सपने को मरने नहीं दिया,  कल्पना के बीते 4 सालों से दिन-रात इस मिशन पर काम कर रही हैं।

एम वनिता

एम वनिता यू और राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में चंद्रयान-3 की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एम वनिता चंद्रयान-2 में प्रोजेक्ट डायरेक्टर बन हिस्सा रह चुकी है। एम वनिता देश के किसी भी मून मिशन का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं।

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