नूंह, मेवात के दंगों और ट्रेन में 3 मुसलमानों की हत्या पर मौलाना अरशद मदनी बोले- जिंदा कौमें हालातों की दया पर नहीं रहतीं

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मुंबई-जयपुर चलती ट्रेन में आरपीएफ के एक कांस्टेबल द्वारा तीन निर्दोष मुस्लिम यात्रियों की हत्या और हरियाणा के नूह में हुए सांप्रदायिक दंगों पर जमीयत-उलमा-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बयान दिया है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सांप्रदायिक मानसिकता की ओर से देश में पिछले 9 साल से नफरत की जो खेती की जा रही है यह अफसोसनाक घटना उसी का परिणाम हैं। नूंह में होने वाले सांप्रदायिक दंगे को उन्होंने एक बड़ी और योजनाबद्ध साजिश करार देते हुए कहा कि प्रशासन की जानकारी में सब कुछ था, उसे यह भी मालूम था कि नासिर और जुनैद की निर्मम हत्या का फरार मुख्य आरोपी नूह में निकलने वाली धार्मिक यात्रा के संबंध में न केवल भड़काऊ वीडियो सोशल मीडीया पर अपलोड कर रहा है बल्कि वह लोगों से इस यात्रा में भारी संख्या में शामिल होने की अपील भी कर रहा है। फिर भी पुलिस और प्रशासन ने यात्रा से पहले सावधानी नहीं बरती और न ही यह पता लगाने का प्रयास किया कि मोनू मानेसर कहां से अपनी वीडीयो सोशल मीडिया पर शेयर कर रहा है।

“पक्के सबूत हैं कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीक़े से हुआ”

मौलाना मदनी ने कहा कि यह इस बात का पक्का सबूत है कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीक़े से हो रहा था, अधिकतर पक्षपाती मीडिया जो रिपोर्टिंग कर रहा है वह न केवल एकतरफा है बल्कि गुमराह करने वाला है। उल्लेखनीय है कि यह यात्रा अभी तीन साल से निकलनी शुरू हुई है। नूह और इसके आस-पास के क्षेत्रों में मुस्लिम अधिक संख्या में हैं, ऐसे में न्याय यही था कि यात्रा से पहले पुलिस और प्रशासन की ओर से सावधानी बरती जाती। यात्रा में शामिल होने वालों को चेतावनी दी जाती कि वह भड़काऊ नारे न लगाऐं, मगर पुलिस और प्रशासन ने ऐसा कुछ नहीं किया, इसलिए वही हुआ जिसका डर था। नूह के नलहड़ गांव के एक मंदिर से शुरू हुई यह यात्रा जैसे ही मुस्लिम बहूल क्षेत्रों में पहुंची, भड़काऊ भाषण और हथियारों का प्रदर्शन शुरू हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही से नूह और आसपास का पूरा क्षेत्र स्थायी रूप से संवेदनशील बना हुआ है और अगर इसके बाद भी पुलिस और प्रशासन ने जानबूझकर लापरवाही दिखाई तो क्या इसके उत्तरदायी पुलिस और प्रशासन के अधिकारी नहीं होने चाहिए।

“मुसलमानों की हो रहीं एकतरफा गिरफ्तारियां”

मदनी ने आगे कहा कि ताजा सूचना यह है कि अब वहां जगह-जगह मुसलमानों की एकतरफा गिरफ्तारियां हो रही हैं, जबकि विश्वसनीय सूचना है कि यात्रा में शामिल लोग जब नूंह से निकले तो उन्होंने सोहना और इसके आसपास के क्षेत्रों और गुरुग्राम के बादशाहपुर में चुनचुन कर मुसलमानों की दूकानों को आग लगा दी। यहां तक कि गुरुग्राम में एक मस्जिद में घुस कर दंगाइयों ने सहायक इमाम को पीट-पीट कर मार डाला और मस्जिद में आग लगा दी। मौलाना मदनी ने सवाल किया कि क्या यह जुर्म नहीं है? अगर है तो फिर वहां अंधाधुंद एकतरफा गिरफ्तारियां क्यों हो रही हैं? उन्होंने यह भी कहा कि नूंह में जो कुछ हो रहा है वह राजनीति से प्रेरित है, दंगाइयों की टोली को अपनी मनमानी और गुंडागर्दी का समय समाप्त होता हुआ दिखाई दे रहा है, इसलिए नफरत द्वारा धार्मिक हिंसा को हवा दी जा रही है ताकि उसके सहारे एक बार फिर 2024 का संसद का चुनाव जीत लिया जाए।

“ट्रेन में मुस्लिमों पर गोली चलाने वाले को मानसिक रोगी बता रहे”

“ट्रेन में मुस्लिमों पर गोली चलाने वाले को मानसिक रोगी बता रहे”

मौलाना अरशद मदनी ने इस बात पर गहरा आश्चर्य प्रकट किया कि चलती ट्रेन में चार निर्दोष लोगों के निर्मम हत्यारे को अब मानसिक रोगी साबित किया जा रहा है, जबकि यह एक खुला हुआ उग्रवाद है, जब एक रक्षक न केवल वर्दी में हत्यारा बन गया बल्कि उसने एक विशेष धर्म के मानने वालों को गोलियों से भून दिया। मौलाना मदनी ने कहा कि यह दुनिया का ऐसा पहला मरीज है जिसकी गोली केवल मुसलमानों को पहचानती है। सच तो यह है कि इस महान भारत देश के लिए जहां हिंदू और मुसलमान दोनों सदियों से शांति और प्रेम से रहते आए हैं, इस प्रकार की घटनाएं बहुत शर्मनाक हैं। इससे पूरी दुनिया में देश की छवि दागदार होती है, मगर जिन लोगों को नागरिकों के मान-सम्मान और जान से अधिक अपनी गुंडागर्दी प्यारी है। उनके लिए यह बात कोई महत्व नहीं रखती। मौलाना मदनी ने कहा कि इन दोनों घटनाओं की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच होनी चाहीए और जो लोग दोषी पाए जाएं उन्हें भेदभाव के बिना कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। एकतरफा कार्रवाई कानून और न्याय के मुंह पर एक तमांचा है। यह बात निसंदेह याद रखी जानी चाहिए कि न्याय के दोहरे मापदण्ड से ही अराजकता और विनाश के रास्ता खुलते हैं। कानून का मापदण्ड सब के लिए एक जैसा होना चाहिए और धार्मिक रूप से किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि इसकी अनुमति न तो देश का संविधान देता है और न कानून।

“जिंदा कौमें परिस्थितियों की दया पर नहीं रहतीं”

मौलाना मदनी ने अंत में कहा कि निसंदेह सांप्रदायिकता और धर्म के आधार पर नफरत पैदा करने से देश की स्थिति निराशाजनक और घातक है, लेकिन हमें निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि सुखद बात यह है कि हर तरह के उकसावे के बावजूद देश का बहुसंख्यक वर्ग सांप्रदायिकता का विरोधी है, जिसकी जिंदा मिसाल कर्नाटक चुनाव के परिणाम हैं। हम एक जिंदा कौम हैं और जिंदा कौमें परिस्थितियों की दया पर नहीं रहतीं, बल्कि अपने चरित्र और कर्म से परिस्थितियों की दिशा बदल देती हैं। यह हमारी परीक्षा की कठिन घड़ी है इसलिए हमें किसी भी अवसर पर धैर्य, विश्वास, आशा और स्थिरता को नहीं छोड़ना चाहिए। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता, क़ौमों पर परीक्षा का समय इसी प्रकार से आता रहता है। उन्होंने कहा कि हमारा हज़ारों बार का अनुभव है कि दंगा होता नहीं है बल्कि कराया जाता है। अगर प्रशासन न चाहे तो भारत में कहीं भी दंगा नहीं हो सकता, इसलिए ज़िला प्रशासन को जवाबदेह बनाया जाना ज़रूरी है क्योंकि अगर एसएसपी और डीएम को यह डर रहे कि दंगे की स्थिति में स्वयं उनकी अपनी गर्दन में फंदा पड़ सकता है तो किसी के चाहने से भी कहीं दंगा नहीं हो सकता है।

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.