सदस्यता अभियान आंकड़ों का खेल नहीं, यह वैचारिक और भावनात्मक आंदोलन है : पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के ‘राष्ट्रीय सदस्यता अभियान-2024’ का शुभारंभ करते हुए कहा कि सदस्यता अभियान आंकड़ों का खेल नहीं, यह वैचारिक और भावनात्मक आंदोलन है। यह सदस्यता अभियान सिर्फ एक रस्म नहीं है, यह हमारे परिवार का विस्तार है, यह संख्याओं का खेल नहीं है।
उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितने नंबर हासिल करते हैं। यह सदस्यता अभियान देश को मजबूत बनाने और सामर्थ्य बढ़ाने का अभियान है।
उन्होंने सदस्यता अभियान को एक उत्सव की तरह मनाने का आग्रह करते हुए कहा कि 18 से 25 वर्ष के युवाओं को टारगेट करके उन्हें भाजपा से जोड़ना चाहिए। भाजपा के कार्यकर्ताओं को उन्हें बताना चाहिए कि 10 वर्ष पहले भारत में स्थिति कितनी खराब थी और उनकी सरकार ने देश के हालात को कितना बदला है, देश को किस नई ऊंचाइयों पर ले गई है। युवाओं का सामर्थ्य 2047 तक ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने में काम आएगा। यह सदस्यता अभियान सारे रिकॉर्ड को तोड़ेगा।
उन्होंने सदस्यता अभियान को लेकर देश के आकांक्षी जिलों, ब्लॉक और सीमावर्ती इलाकों पर भी ज्यादा फोकस करने की सलाह दी। पीएम मोदी ने कहा कि हम सिर्फ चुनावी मशीन नहीं हैं, बल्कि वो खाद-पानी हैं जो देशवासियों के सपने को सींच सकता है। भाजपा को चुनावी मशीन कहना अपमान है।
पीएम मोदी ने भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के बीच के अंतर के बारे में कहा कि आज सदस्यता अभियान का एक और दौर प्रारंभ हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जब तक जिस संगठन के माध्यम से या जिस राजनीतिक दल के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो इकाई, वो संगठन और वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है, आंतरिक लोकतंत्र निरंतर उसमें पनपता नहीं है, तो वैसी स्थिति बनती है, जो आज देश के कई दलों में हम देख रहे हैं। भाजपा एक मात्र दल है, जो अपनी पार्टी के संविधान के अनुसार पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अपने कार्य का विस्तार कर रही है और जन-सामान्य की आशा, आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए अपने आप को निरंतर योग्य बनाए रहता है।
उन्होंने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि मैं जब राजनीति में नहीं था, तो जनसंघ के जमाने में बढ़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर दीपक पेंट करते थे, तो कई राजनीतिक दल के नेता अपने भाषणों में मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर दीपक पेंट करने से सत्ता के गलियारों तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं, जिन्होंने श्रद्धा से दीवारों पर कमल पेंट किया, क्योंकि विश्वास था कि दीवारों पर पेंट किया कमल कभी न कभी तो दिलों पर भी पेंट हो जाएगा। एक जमाने में लोकसभा में दो सदस्य होने पर हमारा मजाक उड़ाया गया था। बहुत जुल्म सहकर पार्टी यहां तक पहुंची है।
पीएम मोदी ने कहा कि उस समय जुल्म करने वाले लोगों में सत्ता का नशा इतना ज्यादा था कि उन्हें एक छोटा सा जुलूस भी बर्दाश्त नहीं होता था। आज भी कुछ राज्यों में भाजपा के कार्यकर्ता उसी जीवन को जीते हैं और अपने आदर्शों के लिए जूझते हैं। हमारे कार्यकर्ताओं के लिए कहा जाता था कि उनका एक पैर रेल में होता है और दूसरा जेल में होता है। रेल में इसलिए, क्योंकि भाजपा का कार्यकर्ता निरंतर भ्रमण करता था, प्रवास करता था और समाज की समस्याओं के समाधान के लिए सत्ता पर बैठे हुए लोगों के सामने संघर्ष करता था। इसलिए कभी जेल तो कभी बाहर, यही उसकी स्थिति होती थी।
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