बारिश और मानसून को लेकर मौसम विभाग ने की भविष्यवाणी, किसानों के लिए राहत भरी खबर

Mansoon Rain

 मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि 2023 को गर्म मौसम वाला वर्ष बनाने के बाद ‘अल नीनो’ की स्थितियां इस वर्ष जून तक खत्म हो जाएंगी, जिससे इस बार मानसून की अच्छी वर्षा होने की उम्मीद बढ़ गई है।

दो वैश्विक जलवायु एजेंसियों ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि दुनियाभर के मौसम को प्रभावित करने वाला ‘अल नीनो’ कमजोर होना शुरू हो गया है और अगस्त तक ‘ला नीना’ की स्थितियां बनने की संभावना है। ‘अल नीनो’ भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के जल के गर्म होने की प्रक्रिया है।

इस साल अच्छी बारिश की उम्मीद

घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहे भारत के मौसम विज्ञानियों ने कहा है कि जून-अगस्त तक ‘ला नीना’ की स्थितियां बनने का मतलब यह हो सकता है कि इस वर्ष मानसून की वर्षा पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर होगी।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा, ‘अगर अल नीनो, ईएनएसओ (अल नीनो साउदर्न ओस्सीलेशन) न्यूट्रल स्थितियों में परिवर्तित हो गया, तो भी इस वर्ष मानसून पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर रहेगा।’

जून-अगस्त में ला नीना विकसित होने की 55 प्रतिशत संभावना

अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने पिछले सप्ताह कहा था कि इस बात की 79 प्रतिशत संभावना है कि ‘अल नीनो’ अप्रैल-जून तक ‘ईएनएसओ-न्यूट्रल’ में परिवर्तित हो जाएगा और जून-अगस्त में ‘ला नीना’ विकसित होने की 55 प्रतिशत संभावना है। यूरोपीय संघ की कापरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने भी पुष्टि की कि ‘अल नीनो’ कमजोर पड़ने लगा है।

ला नीना, अल नीनो का चक्रीय प्रतिरूप है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी डी. शिवानंद पई ने कहा, ‘अभी हम निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकते। कुछ माडल ला नीना का संकेत दे रहे हैं, जबकि कुछ ईएनएसओ-न्यूट्रल दशाओं का संकेत दे रहे हैं। हालांकि, सभी माडल अल नीनो समाप्त होने का संकेत दे रहे हैं।’ पई ने कहा, ‘अगर ला नीना विकसित होता है तो मौजूदा वर्ष, 2023 से ज्यादा गर्म नहीं होगा।’

क्या है अल नीनो?

अल नीनो इफेक्ट मौसम संबंधी एक विशेष घटना क्या स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है। अल नीनो इफेक्ट की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है।

इसकी वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है, जिससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं।

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.