अधिकारियों की कार्यशैली से नाराज हुए मंत्रीजी : शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चन्द्रशेखर ने ACS के.के पाठक और निदेशक को भेजा पीत पत्र
पटना: अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चन्द्रशेखर अब अपने विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के पाठक समेत अन्य अधिकारियों की कार्यशैली से नाराज हैं और इसके लिए उन्हौने के.के पाठक एवं संबंधित अधिकारियों को पीत पत्र भेजकर नाराजगी जताई है।
शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने अपने पत्र में लिखा है कि ऐसा देखा जा रहा है कि कई मामलों में सरकार के कार्य संहिता के हिसाब से काम नहीं कराए जा रहे हैं.राजपत्रित अधिकारियों को उनके पद के अनुसार काम नहीं दिए जा रहे हैं.विभाग के की अधिकारियों से उनके पद से नीचे स्तर के काम लिए जा रहें हैं.इसलिए इस तरह की कार्यशैली में सुधार लाने की जरूरत है।
बताते चलें कि प्रोफेसर चन्द्रशेखर के रामचरितमानस समेत कई मुद्दो पर दिए गए बयान से सरकार को असहज होना पड़ा था.जेडीयू के विधायक भी उनके बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जता चुकें हैं.इस बीच 8 जून को सरकार ने तेजतर्रार माने जाने वाले आईएएस के.के पाठक को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बनाया है।के.के पाठक विभागीय मंत्री प्रोफेसर चन्द्रेशखर को दरकिनार कर ताड़बडतोड़ फैसले ले रहें हैं और अधिकारियों के साथ मीटिंग करके उन्हें हरका रहें हैं।
के.के पाठक के निर्देश पर स्कूलों में निरीक्षण का कार्य चल रहा है.स्कूल से अनुपस्थित कर्मियों और शिक्षकों को वेतन रोके जा रहे हैं.शिक्षा विभाग मे चल रही गतिविघि में खुद की अनदेखी से मंत्री प्रोफेसर चन्द्रशेखर नाराज हो गए हैं और अधिकारियों को कड़ा पत्र लिखकर कार्यशैली सुधारने की नसीहत दी है.इसके साथ ही उन्हौने अपने अधिकारियों से शिक्षा विभाग की गतिविधि को मीडिया में लीक करने से मना किया है.मीडिया में खबरे लीक करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
बताते चलें कि शिक्षक नियुक्ति को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए नई नियमावली की वजह से सरकार के खिलाफ उनके सहयोगी दल भी नराजगी जाहिर की है.शिक्षक अभ्यर्थी और नियोजित शिक्षक नराज चल रहें हैं.इस बीच कार्यशैली को लेकर मंत्री के द्वारा पत्र अपर मुख्य सचिव के.के पाठक एवं अन्य अधिकारियों को लिखे गए पत्र से जाहिर हो रहा है कि विभाग में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है.अब देखना है कि विभागीय मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच का संबंध इस पीत पत्र के बाद ठीक हा जाता है या फिर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव या सीएम नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ता है।
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