देश के अंदर लोकसभा का चुनाव होना है। इसको लेकर देश की तमाम छोटी बड़ी राजनीतिक पार्टी अपनी रणनीति बनाने में जूट गई है। लेकिन, उससे पहले राज्यसभा की 56 सीटों पर चुनाव होना है। इसको लेकर 15 फरवरी उम्मीदवारों के ऐलान की आखिरी तारीख है। ऐसे में देश के अंदर सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाले भाजपा ने इस चुनाव को लेकर बड़ी योजना बनाई है। भाजपा के तरफ से इस बार कुछ नया देखने को मिल सकता है।
दरअसल, भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार कर ली है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि संगठन में महामंत्री जैसे अहम पदों पर काम करने वाले कई नेताओं को राज्यसभा भेजा जाएगा। इसके अलावा ऐसे कई केंद्रीय मंत्रियों को दोबारा मौका नहीं मिलेगा, जो अब तक राज्यसभा में थे। इन नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। यही नहीं ऐसे नेताओं से यह भी कहा गया है कि वे अपनी पसंद की दो लोकसभा सीटों के नाम बताएं।
भाजपा के सूत्र बतलाते हैं कि, उन सीटों में से ही किसी एक से उनको उतारा जा सकता है। इन नेताओं में से ज्यादातर लोगों ने शहरी सीटों को ही चुना है। इस साल कुल 68 राज्यसभा सांसद रिटायर हो रहे है, जिनमें 9 केंद्रीय मंत्री और 4 नामित सदस्य शामिल हैं। अप्रैल में कुल 56 सीटों पर इलेक्शन होने जा रहा है और इनके लिए उम्मीदवारों के ऐलान की आखिरी तारीख 15 फरवरी है। इन 56 सीटों में से अभी 29 पर भाजपा के ही सांसद थे, जिनमें से एक पार्टी के मुखिया जेपी नड्डा भी हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि हाईकमान पार्टी महासचिवों एवं अन्य नेताओं को उतारने की तैयारी में हैं। इसके अलावा ऐसे कुछ दिग्गज नेताओं को भी राज्यसभा भेजा जा सकता है, जिन्हें उनके राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में उतार दिया गया था। इसके अलावा कुछ राज्यों के भी संगठन के नेताओं को राज्यसभा जाने का मौका मिल सकता है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इसके पीछे यह रणनीति है कि राज्यसभा में खाली हुई सीटों पर नए लोगों को मौका मिल जाए। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री जैसे पदों पर बने हुए नेताओं को लोकसभा में उतारने की तैयारी है।
ऐसा करने से चुनाव में माहौल भी बनेगा और उनके राज्यसभा सीट खाली करने से नए लोगों को वहां जाने का मौका मिलेगा। इस तरह नए नेतृत्व का भी उभार हो सकेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जगह मिलेगी। बता दें कि एस. जयशंकर, निर्मला सीतारमण, अश्वनी वैष्णव जैसे नेताओं को भी लोकसभा में उतारने की चर्चाएं हो रही हैं। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि इन लोगों को साउथ इंडिया से लड़ाया जाए तो वहां भी माहौल बन सकेगा। जहां पार्टी को कमजोर माना जाता है।