विभागों से बहुत सारी सूचनाएं मिलती हैं और कई नहीं भी मिलती हैं. प्रावधान के मुताबिक आवेदक प्रथम और द्वितीय अपील में जाते है. सूबे में आरटीआई के तहत अंतिम सुनवाई राज्य सूचना आयोग के स्तर पर होता है. सीतामढ़ी जिले से जुड़े एक मामले में आयोग का फैसला आया है. खास बात यह कि एक अधिकारी ने आयोग को ही गुमराह करने की कोशिश की. अब इस पर आयोग ने एक्शन लिया है.
अधिकारी और सचिव पर आर्थिक दंड: दरअसल, राज्य सूचना आयोग ने आवेदक को सूचना नहीं उपलब्ध कराने के आरोप में 5000 का आर्थिक दंड लगाया है. साथ ही अधिकारी को, आवेदक को सूचना उपलब्ध कराकर सुनवाई की अगली तिथि 13 मई को रिपोर्ट करने का कहा है, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. आयोग ने अधिकारी आर पंचायत सचिव को सुनवाई के दिन मौजूद रहने का भी निर्देश दिया है.
अबतक नहीं मिली सूचना: बताया गया है कि सीतामढ़ी जिले के सोनबरसा प्रखंड के भुतही गांव के यदुवंश पंजियार हैं. जिन्हें पंचायत सचिव और प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी (बीपीआरओ) के द्वारा दो वर्षों से सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा रही है और उन्हें परेशान किया जा रहा है. पंजियार ने वर्ष 2021-22 में ही पंचायत सचिव अली हैदर जहूर से सूचना मांगी थी. सूचना नहीं मिलने पर आवेदक के द्वारा बीपीआरओ से शिकायत की गई थी, फिर भी उन्हें सूचना नहीं मिल सकी थी. जिसके बाद पंजियार ने आयोग के यहां अपील की थी.
आयोग के निर्देश पर अधिकारी गंभीर नहीं:पिछले दिनों आयोग ने पंजियार के मामले की सुनवाई की. हालांकि आवेदक अनुपस्थित थे लेकिन उन्होंने इसकी पूर्व सूचना आयोग को ई-मेल से दे दी थी. पंचायत सचिव जहूर मौजूद थे. वहीं, बिना सूचना सोनबरसा के बीपीआरओ अनुपस्थित थे, जबकि आयोग ने पूर्व में ही पंचायत सचिव और बीपीआरओ को निर्देश दिया था कि आवेदक को सूचना उपलब्ध कराकर सुनवाई के दौरान मौजूद रहेंगे.
पंचायत सचिव गए, लेकिन खाली हाथ: आयोग की ओर से पंजियार के मामले पर सुनवाई की गई. पंचायत सचिव सुनवाई के दौरान मौजूद थे, लेकिन खाली हाथ गए थे. यानी आवेदक को सूचना दे देने से संबंधित कोई साक्ष्य लेकर नहीं पहुंचे थे, तब राज्य सूचना आयुक्त ने टिप्पणी की कि बीपीआरओ और सचिव आरटीआई के प्रति गंभीर नहीं है. साथ ही कहा कि सचिव और बीपीआरओ गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. इसे आयोग ने गंभीरता से लेते हुए दोनों पर 5000 का आर्थिक दंड लगाया है.