नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2025:मोदी सरकार ने देश की आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने का ऐतिहासिक फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) ने जाति जनगणना को हरी झंडी दे दी है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए बताया कि अगली राष्ट्रीय जनगणना में नागरिकों से उनकी जाति की जानकारी भी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि इस कदम से सामाजिक योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
विपक्ष पर हमला
अश्विनी वैष्णव ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि “कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने हमेशा जातियों का इस्तेमाल केवल वोट बैंक के रूप में किया है। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी इस विषय को टाल दिया था।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी ईमानदारी से जाति जनगणना नहीं कराई और केवल राजनीतिक फायदे के लिए जातिगत मुद्दों का इस्तेमाल किया।
पारदर्शिता और समाज में विश्वास ज़रूरी
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ राज्यों ने पहले जातीय सर्वेक्षण कराए, लेकिन वे या तो अधूरे थे या राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित। इससे समाज में भ्रम और संदेह पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि “हमारा सामाजिक ताना-बाना राजनीति की भेंट न चढ़े, इसके लिए अब जनगणना में ही जातियों की गणना की जाएगी।”
CCPA क्या है?
जाति जनगणना का फैसला CCPA (Cabinet Committee on Political Affairs) ने लिया है, जिसे ‘सुपर कैबिनेट’ भी कहा जाता है। इसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं। इसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल जैसे प्रमुख मंत्री शामिल होते हैं।
जाति जनगणना क्या है?
जातिगत जनगणना का अर्थ है— जनगणना के दौरान प्रत्येक नागरिक से उसकी जाति की जानकारी भी ली जाए। यह आंकड़े सरकार को समाज के अलग-अलग वर्गों की स्थिति समझने और योजनाएं बनाने में मदद करते हैं।
गौरतलब है कि बिहार सरकार पहले ही राज्यस्तरीय जातिगत जनगणना करा चुकी है, जिसकी रिपोर्ट ने राजनीतिक हलकों में बड़ी हलचल मचाई थी।