राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत महर्षि मेंहीं के जीवन पर आधारित फीचर फिल्म के लोकार्पण के बहाने लोगों को राष्ट्रवाद, सनातन संस्कृति और हिंदुत्व एकता का संदेश दे जाएंगे। आरएसएस का जो एजेंडा है उसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष राजनीतिक लाभ बीजेपी को ही मिलेगा।
भागलपुर पहले से ही आरएसएस का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में बेहतर नहीं रहा। इसका मुख्य कारण यह था कि हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का जादू मतदाताओं पर नहीं चला। मोहन भागवत का रिश्ता भागलपुर से गहरा रहा है। सरसंघचालक बनने के बाद यह पांचवीं बार उनकी भागलपुर यात्रा है। उनकी इस यात्रा पर कई लोगों की गहरी निगाहें टिकी हैं।
राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंडे पर करेंगे एकजुट
मुंगेर से झारखंड के साहिबगंज तक गंगा तट के दोनों ओर बसी आबादी का भागलपुर के कुप्पाघाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम से गहरा नाता रहा है। ऐसे लोगों की आबादी लगभग 20 लाख से ज्यादा है। 2023 के फरवरी में भी मोहन भागवत और आचार्य किशोर कुणाल यहां एक कार्यक्रम में आए थे। उसी समय इस बात की पृष्ठभूमि बन गई थी कि महर्षि मेंहीं के अनुयायियों को राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंडे पर एकजुट करना है।
गंगा तट पर बसे लोगों का विश्वास पूजा पाठ में तो है, लेकिन वह हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे से ज्यादा प्रभावित नहीं है। परिणामस्वरूप ऐसे लोगों में जागृति कैसे आए इस पर आरएसएस बेहतर तरीके से काम कर रही है। राजनीति के जानकर भी इस बात से सहमत हैं कि इन दोनों मुद्दों का इस्तेमाल भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में करने वाली है। परिणामस्वरूप आरएसएस के इस एजेंडे का लाभ भाजपा को ही मिलेगा।
मोहन भागवत की वापसी के बाद यहां महिलाओं को जागृत करने राष्ट्रीय सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांति अक्का 24 दिसंबर को भागलपुर आ रही हैं। वे यहां की महिलाओं को सनातन संस्कृति के प्रति संघ का उद्देश्य बताएंगी। इसके पूर्व आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन ने बुधवार को दिगंबर जैन मंदिर में जाकर भगवान बासुपूज्य का दर्शन किया और वहां के संत से आशीर्वाद लिया। संघ के लगातार विभिन्न विभागों के प्रमुखों का यह दौरा हिंदुत्व और सनातन संस्कृति को तो मजबूत करेगा ही लेकिन इस बहाने भाजपा को भी आगामी लोकसभा चुनाव में लाभ मिलेगा।