बिहार के सभी स्कूलों की निगरानी और सख्त होगी, जिलों में तैनात होने लगे जिला कार्यक्रम प्रबंधक
बिहार में चल रही शिक्षा की योजनाओं के साथ ही राज्यभर के सभी स्कूलों की निगरानी और सख्त होगी। इसके लिए जिला और प्रखंड स्तर पर जल्द ही परियोजना प्रबंधन इकाई कार्य करने लगेगी। इसी क्रम में जिला कार्यक्रम प्रबंधकों की तैनाती जिलों में शुरू हो चुकी है। करीब 50 प्रतिशत जिलों में इनकी तैनाती हो चुकी है। वहीं शेष जगहों के लिए तेजी से प्रक्रिया चल रही है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जुलाई के अंतिम सप्ताह में इन इकाइयों के गठन का निर्देश दिया था।
इसके बाद प्रबंधकों के चयन की कार्रवाई शुरू की गई थी। वहीं, जिला और प्रखंड में पूर्व से कार्यरत कुछ कर्मियों को भी इस टीम में रखा जाएगा। जिला के स्तर से किये जा रहे कार्यों में भी यह टीम पदाधिकारियों को सहयोग करेगी। साथ ही निगरानी और निरीक्षण से जुड़े आंकड़े अपडेट करने की भी जिम्मेदारी इनकी होगी। मालूम हो कि विद्यालयों के निरीक्षण पर विभाग का मुख्य फोकस है। विद्यालय में छात्र-शिक्षक की उपस्थिति, पठन-पाठन से लेकर सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं की धरातल पर क्या स्थिति है, इसका जायजा रोज लिया जा रहा है।
प्रतिदिन 30 से 35 हजार स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है। निरीक्षण रिपोर्ट उसी दिन जिलास्तर पर उपलब्ध करा दी जाती है। वहीं, एक दिन बाद यह रिपोर्ट विभाग में गठित कोषांग में पहुंचती है। रिपोर्ट में जिलों द्वारा यह भी बताया जाता है कि निरीक्षण में क्या-क्या कमियां पायी गईं और उनके खिलाफ कौन सी कार्रवाई की गई है।
इन कार्यों को और प्रभावी बनाने में भी जिला और प्रखंड की परियोजना प्रबंधन इकाई की खास भूमिका होगी। जिलास्तर पर गठित होने वाली परियोजना प्रबंधन इकाई में प्रबंधक के अलावा प्रोग्रामर, लेखा विशेषज्ञ और लेखा सहायक होंगे। वहीं, प्रखंड परियोजना प्रबंधन इकाई में प्रबंधक के अलावा डाटा इंट्री ऑपरेटर, लेखा सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर, प्रखंड साधन सेवी होंगे।
स्कूलों में नीलामी की रिपोर्ट रोज आएगी
प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के स्कूलों में पड़ी अनुपयोगी सामग्रियों की नीलामी की रिपोर्ट अब प्रतिदिन शिक्षा विभाग में आएगी। इसको लेकर विभाग ने जिलों को दिशा-निर्देश जारी किया है। विभाग ने कहा है कि नीलामी से कितनी राशि स्कूल को प्राप्त हुई, यह भी रिपोर्ट में दर्ज करनी है। इस कार्य की मॉनिटिरिंग की जिम्मेदारी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दी गई है। ताकि, जल्द-से-जल्द सभी स्कूलो में ऐसे सामानों की नीलामी पूरी की जा सके।
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