नीतीश के ज्यादातर मुस्लिम नेताओं के सुर हुए बगावती, सवाल- क्या दो फाड़ में बंट जाएगी JDU

Nitish KumarNitish Kumar

जेडीयू के मुस्लिम नेताओं ने जल्द ही फैसला लेने की बात कहकर सियासी भूचाल मचा दिया है. पार्टी के मुस्लिम नेताओं में विधान पार्षद गुलाम गौस, विधान पार्षद खालिद अनवर, पूर्व सांसद और राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बलियावी, अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष सलीम परवेज, पूर्व सांसद अशफाक करीम और अशफाक अहमद इसका विरोध करते रहे हैं. ऐसे में अब इनके स्टैंड पर सबकी नजरें टिकी हैं.

JDU में महाभारत!: जल्द ही इदारा-ए-शरिया की बिहार, उड़ीसा, झारखंड के समर्थकों की बैठक पटना में बुलाने की तैयारी हो रही है. जेडीयू के मुस्लिम नेताओं ने साफ कर दिया है कि बैठक के बाद ही फैसला लेंगे. गुलाम रसूल बलियावी ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और तमाम हाईकोर्ट के लीगल टीम से भी हम लोग बात करेंगे.

गुलाम रसूल बलियावी का ऐलान: गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि वक्फ बिल पास हो गया है. इदारा-ए-शरिया की तरफ से हम लोगों ने 31 पेज सुझाव जेपीसी को दिया था और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को भी भेजा था. तमाम जेपीसी के मेंबरान को भी दिया था. अब बिल पास हो गया है.

“बिल की कॉपी अभी नहीं आई है. इदारा-ए-शरिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट और तमाम हाईकोर्ट के लीगल सेल के साथ बातचीत करेंगे. इदारा-ए-शरिया बिहार झारखंड उड़ीसा की बैठक जल्द बुलाएंगे और उसमें बड़ा फैसला लेंगे.”गुलाम रसूल बलियावी,पूर्व सांसद और राष्ट्रीय महासचिव, JDU

क्या पार्टी छोड़ देंगे बलियावी?: वहीं गुलाम रसूल बलियावी के नजदीकियों का कहना है कि जेडीयू छोड़ने का भी फैसला उसके नेता ले सकते हैं. गुलाम रसूल बलियावी एक्सीडेंट के बाद पिछले लंबे समय से बेड रेस्ट में हैं. बलियावी ने कहा है कि इस वक्त देश भर के मुसलमान और अमन पसंद लोग उबल रहे हैं. ये वाजिब हो गया कि अब कम्युनल और सेक्युलर, सेक्युलर और कम्युनल दोनों में कोई फर्क नहीं है. हलालत और एक्सीडेंट के बाद भी बहुत हिम्मत करके आपकी अदालत में हाजिर हैं.

‘सीएम को बताएंगे अपनी पीड़ा’- सलीम परवेज: जेडीयू के अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष और बिहार विधान परिषद के पूर्व उपसभापति सलीम परवेज बिहार से बाहर हैं. सलीम परवेज ने फोन से हुई बातचीत में कहा अभी तो हम लोग जदयू के साथ हैं. नीतीश कुमार से मिलकर पहले भी अपनी सारी बात बता चुके हैं. एक बार फिर से अपनी पीड़ा बताएंगे.

“केंद्र सरकार ने बहुमत के आधार पर बिल को पास कर लिया है, लेकिन हम पूरी तरह से मुस्लिम संगठनों के साथ हैं. समय आने पर फैसला होगा.” सलीम परवेज,पूर्व अध्यक्ष,अल्पसंख्यक मोर्चा, जेडीयू

गुलाम गौस ने किया विरोध : गुलाम गौस ने वक्फ बिल का विरोध किया है. एक बार फिर से वापस लेने की मांग की है. गुलाम गौस, नीतीश कुमार पर अभी भी भरोसा जता रहे हैं, लेकिन गुलाम गौस की नाराजगी साफ दिख रही है. गुलाम गौस अभी पार्टी के एमएलसी हैं. पिछले दिनों लालू प्रसाद यादव से भी मिले थे और इनको लेकर भी कई तरह की चर्चा हो रही है.

मंत्री जमा खान ने क्या कहा?: जेडीयू एमएलसी खालिद अनवर का अभी लंबा विधान परिषद में कार्यकाल है, लेकिन अपने बयानों को लेकर पहले भी चर्चा में रहे हैं. जल्द ही इस पर बोलने की बात कह रहे हैं. पार्टी के एकमात्र मुस्लिम मंत्री जमा खान ने फोन से हुई बातचीत में कहा कि जो लोगों को करना था, कर ही दिया है. वक्फ बिल पास होने के बाद अब आपका क्या स्टैंड है, इस पर जमा खान ने कहा पटना पहुंचने पर बात करेंगे अभी क्षेत्र में हैं.

JDU के मुस्लिम लीडर लेंगे बड़ा फैसला: कुल मिलाकर देखें तो जेडीयू के अंदर जितने भी मुस्लिम नेता हैं, फिलहाल खुलकर नीतीश कुमार के खिलाफ बोलने से बच रहे हैं. लेकिन जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. जदयू के मुस्लिम नेताओं ने कहा कौम का उन पर काफी दबाव है.

लोकसभा से पारित: बता दें कि वक्फ संशोधन बिल 2025 गुरुवार को लोकसभा से पास हो गई. 11 घंटे तक चली बहस के बाद इसे पारित किया गया. बीजेपी और उसके सहयोगियों द्वारा जोरदार समर्थन प्राप्त इस विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, वहीं इसके खिलाफ 232 वोट पड़े. सदन में इसकी शुरुआत हंगामेदार रही, क्योंकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक पार्टी के नेताओं और सदस्यों ने इसका जोरदार विरोध किया.

बिहार में मुस्लिम वोट प्रतिशत: राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे कहते हैं कि बिहार में मुसलमानों का वोट प्रतिशत 17.70 है और उसके बाद यादवों का वोट 14% के करीब है. दोनों मिला दें तो लगभग 32% के आस-पास होता है और यह बड़ा अंक है जिसका लाभ विपक्ष को मिल सकता है. बिहार में 50 विधानसभा की सीटें हैं, जहां नीतीश कुमार को मुस्लिम वोटरों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है.

”बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है और राजद-कांग्रेस मुसलमान के लिए सबसे बड़ा ऑप्शन है. उसके अलावा एआईएमआईएम और प्रशांत किशोर भी उनके पास एक विकल्प के तौर पर मौजूद हैं. ऐसे में बीजेपी के साथ रहते हुए नीतीश कुमार को अब मुस्लिम वोट मिलेगा, इसकी संभावना फिलहाल कम है. अब इसका कितना नुकसान होगा, यह देखने वाली बात होगी. क्योंकि बीजेपी भी चाहती है कि हिंदू-मुस्लिम हो जिससे वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए.”सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

मुसलमानों की नाराजगी का असर: 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के 2 साल बाद ही नीतीश कुमार फिर से पाला बदलकर बीजेपी के साथ हो गए थे, इस समय से मुसलमानों की नाराजगी नीतीश कुमार से बढ़ने लगी थी. यही कारण था कि 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन एक भी जीत नहीं पाया. 2020 में एनडीए का एक भी मुस्लिम विधायक नहीं बना और इसीलिए जदयू को बसपा के टिकट पर जीत कर आए जमा खान को पार्टी में शामिल करना पड़ा और मंत्री भी बनाना पड़ा.

नाराजगी दूर करने की कोशिश: 2024 में भी किशनगंज से मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव में जेडीयू नें टिकट दिया था लेकिन, एक बार फिर से वहां भी जदयू की हार हुई. अब वक्फ बिल लोकसभा से पास हो गया है तो ऐसे में मुसलमान की नाराजगी और बढ़ना तय माना जा रहा है. ऐसे नीतीश कुमार ने मुसलमानों की नाराजगी दूर करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. अभी हाल ही में ईद में नीतीश कुमार ने एक दर्जन से अधिक स्थानों पर जाकर मुस्लिम के बड़े इबादत स्थान पर दुआ मांगी और लोगों से मुलाकात भी की.

क्या होगा पार्टी के मुस्लिम नेताओं का स्टैंड?: सीमांचल में एआईएमआईएम के बढ़ते दखल और प्रशांत किशोर की बढ़ती गतिविधियों ने नीतीश कुमार की मुश्किल और बढ़ा दी है. पहले से ही आरजेडी और कांग्रेस की जोड़ी बड़ी चुनौती थी. ऐसे में जेडीयू के मुसलमान के लिए पार्टी में रहते आगे की राजनीति करना बहुत आसान नहीं होगा. देखने वाली बात होगी कि वक्फ बिल के विरोध में बोलने वाले जेडायू के मुस्लिम नेता क्या फैसला लेते हैं.

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