बिहार के इस जिले में मिट्टी की पिंडी के रूप में विद्यमान हैं मां अम्बिका भवानी, इससे जुड़ी है पौराणिक मान्यता
बिहार के सारण दिघवारा प्रखंड के आमी में मां अम्बिका भवानी शक्तिपीठ के रूप में विद्यमान है. जिला मुख्यालय छपरा से यह स्थान लगभग 30 किलोमीटर दूर है. राजधानी पटना से यह स्थान लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर एनएच 19 पर अवस्थित है. इसे मार्कंडेय पुराण में वर्णित 51 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में यहां पर मां के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
मनोकामना पूर्ण होती है
ऐसी मान्यता है कि यहां पर सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना पूर्ण होती है. पवित्र पावन गंगा नदी के किनारे अवस्थित इस पौराणिक का विशेष महत्व है. महाराज दक्ष के यज्ञ में जब सती ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. उसके बाद भगवान भोलेनाथ सती के शरीर को लेकर तांडव करने लगे थे. इस पर भगवान शंकर को शांत करने के लिए भगवान विष्णु से अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए उनके शव के टुकड़े जहां-जहां गिरे वह स्थान शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा।
मंदिर परिसर में पौराणिक कुआं
मां अंबिका भवानी गृहस्थ श्रद्धालुओं और भक्तों का श्रद्धा स्थल है. वैष्णवी शक्ति उपासक, मार्गी, कापालिक और श्रद्धालुओं की साधना स्थल तथा शक्ति सिद्ध शक्तिपीठ मां अम्बिका भवानी की छटा बहुत ही निराली है. यहां पर एक पौराणिक कुआं भी है. मार्कंडेय पुराण तथा दुर्गा सप्तशती में वर्णित है कि कालांतर में राजा सूरथ और समाधी वैश्य ने मिट्टी की भगाकर पिंड बनाकर इस स्थान पर वर्षों तक पूजा की थी।
विशाल पिंड आज भी विद्यमान
देवी ने प्रकट होकर उन्हें मनचाहा वरदान दिया था. इस मंदिर में वही मिट्टी की भगाकर विशाल पिंड आज भी विद्यमान है. मां की मिट्टी रूपी प्रतिमा का प्रतिदिन जल, शहद, घी वह चमेली के तेल से अभिषेक किया जाता है. चमत्कार है की मिट्टी रूपी प्रतिमा का 1 इंच भी क्षरण नहीं हुआ है. भारत में सिर्फ इसी मंदिर में मिट्टी की पिंडी रूप में मां की पूजा होती है।
9 दिन तक माता की विशेष पूजा
शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में 9 दिन तक माता की विशेष पूजा की जाती है. हजारों श्रद्धालु यहां माता का पाठ करते हैं. पूरे नवरात्र देश भर से हजारों श्रद्धालु माता का दर्शन करने यहां आते हैं. नवरात्र के 9वें दिन माता की विदाई की जाती है. भक्तजन नम आंखों से माता की विदाई करते हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि जो भी आता है वह यहां से खाली हाथ नहीं जाता है. यहां की परंपरा हर वेद पुराण में मिल जाएगी।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.