इंसान अगर कुछ बनने, कुछ करने की ठान ले तो उसे फिर दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती. ये कहानी भी एक ऐसे ही इंसान की है, जो गरीबी से निकल कर अब एक ऐसे मुकाम पर पहुंच चुका है, जिससे उसके माता-पिता का फुले नहीं समा रहे हैं. ये लाजिमी भी है. माता-पिता ने काफी मेहनत की. ये कहानी है अभिषेक कुणाल की. जो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं. आज अभिषेक कुणाल सेना में सैन्य अधिकारी के रूप में लखनऊ में ट्रेनिंग कर रहे हैं.
छपरा का लाल बना भारतीय सेना में अधिकारी:अभिषेक कुणाल बिहार के अमनौर प्रखंड के मदारपुर क्षेत्र के लहेर छपरा गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता स्टेशनरी की दुकान चलाते हैं वहीं मां गांव में लोगों के कपड़े सिल कर बेटे की पढ़ाई की. पिता ने भी काफी आर्थिक कमी के बावजूद अपने बेटे को पढ़ने में भरपूर सहयोग किया. उनके दोनों बेटों ने आर्मी में भर्ती होकर अपने माता-पिता का तो नाम रोशन किया ही है. आज इस बात की चर्चा पूरे जिले में हो रही है.
“गांव में सिलाई-मशीन चला कर आज अपने बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाया है. इससे ज्यादा खुशी क्या हो सकती है.” – फुलझड़ी देवी, मां
पहले प्रयास में मिली सफलता: उन्होंने बताया कि बड़ा बेटा मुकेश कुमार भी सेना में क्लर्क हैं और महार रेजीमेंट में पंजाब में पोस्टेड है. अपने बड़े भाई की सलाह पर अभिषेक कुणाल ने सेना में बतौर हवलदार क्लर्क की नौकरी ज्वाइन कर ली. लेकिन सेना में सैन्य अधिकारी बनने की इच्छा अभी भी उसके दिल में थी. एक बार फिर उसने सेना में अधिकारी बनने के लिए तैयारी की, अपने इस प्रयास में अभिषेक कुणाल को सफलता मिली.
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