बेटी आज चांद और अंतरिक्ष में जा रही है। दूसरी ओर बेटी को आज भी जन्म के साथ ही मरने के लिए फेंक दिया जा रहा है। माता के कुमाता होने और समाज का एक विद्रूप चेहरा शेखपुरा जिले के बरबीघा हॉस्पिटल के पीछे देखने को मिला। सोमवार की तड़के सुबह एक नवजात की रोने की आवाज सुनकर जब कुछ लोग नाली के पास देखने के लिए गए तो वहां एक नवजात बच्ची चिथड़ा में लिपटी हुई फेंकी हुई थी। उसे चींटी काट रही थी। वह रो रही थी। रात में किसी ने नवजात बच्ची को जन्म लेने के तत्काल बाद नाली के पीछे फेंक दिया था।
नाली के पीछे बच्ची को फेंके जाने के बाद सुबह तक वह जिंदा रही। स्थानीय लोगों ने जब उसके रोने की आवाज सुनी तो वहां भीड़ लग गया। फिर स्थानीय एक महिला ने ममता दिखाई और नवजात बच्ची को बरबीघा अस्पताल पहुंचाया। बरबीघा अस्पताल से उसे एंबुलेंस के माध्यम से शेखपुरा सदर अस्पताल में नवजात शिशु केयर सेंटर (एसएनसीयू) में भर्ती कराया गया है। जहां चिकित्सकों के द्वारा उसका अभी इलाज शुरू किया गया है। उधर, एक नवजात शिशु को जन्म लेने के बाद नाली के बगल में फेंक दिए जाने की घटना जिले में जंगल की आज की तरह फैल गई। घटनास्थल पर भी भारी भीड़ जमा हो गयी।
वहीं बरबीघा में एक नवजात शिशु को फेंके जाने की घटना जहां चर्चित रहा और सोशल मीडिया पर ही वायरल हुआ। वहीं कई घंटे बीत जाने के बाद भी शेखपुरा जिला बाल कल्याण और बाल संरक्षण से जुड़े अधिकारी और कर्मी को किसी तरह की इसकी जानकारी नहीं मिली। बाल संरक्षण को लेकर थाना में भी एक अलग से इकाई बनाया गया है जहां भी इस तरह की कोई सहायता नवजात को नहीं मिला।
अंत में एक स्थानीय महिला ने ही नवजात को शेखपुरा के सदर अस्पताल में भर्ती कराया है। जहां वह जिंदगी और मौत से लड़ रही है। बहुत देर बाद बाल कल्याण के सामाजिक कार्यकर्ता श्री निवास सदर अस्पताल पहुंचकर बच्ची का हाल-चाल जाना। एक तरफ जन्म देने वाली मां को भगवान माना जाता है तो दूसरी तरफ एक ऐसी माता भी मिली जो जन्म देने के बाद बच्ची को मरने के लिए फेंक दिया।