घोसी उपचुनाव में बीजेपी की हार से जुड़ा मुख्तार अंसारी का कनेक्शन! सपा ने ऐसे कर दिया खेल

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आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी (BJP) को जबरदस्त झटका लगा है. यूपी की घोसी उपचुनाव पर एनडीए (NDA) बनाम ‘इंडिया’ (I.N.D.I.A) की लड़ाई में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भारी पड़ गए हैं, इंडिया गठबंधन में शामिल सपा के सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) ने बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) 42,759 वोटों से हरा दिया है, जिसे लेकर सपा कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है. सुधाकर सिंह को 1,24,427 वोट मिले, जबकि दारा सिंह चौहान के खाते में 81,668 वोट आए. घोसी में सपा का पीडीए (PDA) फॉर्मूला काम कर गया, लेकिन इतनी बड़ी जीत के पीछे एक बड़ी वजह मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को भी माना जा रहा है।

दरअसल दारा सिंह चौहान पिछले दिनों समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया. वहीं सपा ने सुधाकर सिंह को कैंडिडेट घोषित कर दिया. सपा ने सुधाकर सिंह के चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं की और पूरी ताकत के साथ ये चुनाव लड़ा, सपा नेता शिवपाल यादव कई दिनों तक यहां डेरा डाले रहे और पूरे चुनाव की रणनीति तैयार की. सपा को सभी जातियों का वोट मिला. मुस्लिम मतदाताओं ने सुधाकर सिंह के पक्ष में एकमुश्त होकर वोट दिया।

मुख्तार अंसारी बना बीजेपी की हार की वजह

घोसी में सपा की जीत की एक वजह मुख्तार अंसारी को भी माना जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मुस्लिमों ने सपा का साथ दिया और उनका वोट बंटा नहीं. घोसी सीट मऊ में आती है और इस इलाके पर मुख्तार अंसारी के परिवार का दबदबा रहा है. मुख्तार यहां से पांच बार विधायक रहे हैं. इन दिनों वो जेल में है, बीजेपी राज में मुख्तार अंसारी पर हो रही कार्रवाई के बाद मुस्लिम वोटरों का उनसे भावनात्मक जुड़ाव और बढ़ गया है. ऐसे में जब उन्हें बीजेपी का विरोध करने का मौका मिला तो मुस्लिम वोटर पीछे नहीं हटे।

मुस्लिमों ने दिया सपा का साथ

यही नहीं, मोहम्मदाबाद के विधायक और मुख्तार के भतीज मन्नू अंसारी ने भी घोसी में रहकर लगातार सपा के समर्थन में प्रचार किया. मन्नू ने सपा के पक्ष में मुस्लिम मतदाताओं को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई, जिसकी वजह से मुस्लिम वोट बिखरा नहीं. वहीं बसपा ने इस चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा जो सपा के पक्ष में गया. अगर बसपा भी अपना कैंडिडेट उतारती तो सपा के वोट कट सकते थे. ऐसे में इसकी सीधा फायदा सुधाकर सिंह को हुआ. मुस्लिम मतदाताओं के अलावा राजभर और निषाद के इलाकों में भी सपा को बढ़त मिली. स्थानीय वोटर ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के दल बदलने से नाराज दिखे।

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