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‘मुसलमान वोट नहीं करते’ फिर भी मिला प्रमोशन, CM नीतीश की कमेटी से बहार हुए मुस्लिम नेता अब बनाए गए राष्ट्रीय महासचिव

ByLuv Kush

नवम्बर 26, 2024
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केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने हाल में ही मुसलमानों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समाज मुख्यंमत्री नीतीश कुमार को वोट नहीं करते हैं। उनके बयान पर बिहार में बवाल मचा हुआ है। अब इनके इस बयान पर जनता दल यूनाइटेड के तरफ से भरपाई करने को लेकर नई-नई कोशिश की जा रही है. इन सब के बीच सीएम और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अपने फैसले से सबको चौंका दिया है। उन्होंने पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल बलियावी को राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी है।

दरअसल, नीतीश कुमार ने जब नई कमेटी का गठन किया तो उस समय बलियावी को कमेटी से बाहर कर दिया गया था।  लेकिन अब केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के बयान के बाद उनको फिर से राष्ट्रीय महासचिव की बड़ी जिम्मेदारी दी है। बड़ी बात यह भी है कि इसको लेकर जिस नेता ने पत्र जारी किया है वह भी मुस्लिम समाज से आते हैं और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव है। आफाक अहमद खान ने पत्र जारी करते हुए गुलाम रसूल बलियावी को राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त करने की जानकारी दी है।

मालूम हो कि, गुलाम रसूल बलियावी पार्टी की ओर से राज्यसभा के सांसद और विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। वह पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी निभाते रहे हैं।  पश्चिम बंगाल के प्रभारी भी रह चुके हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बलियाबी को एक तरह से साइड लाइन कर दिया था। वहीं अब एक बार फिर नीतीश कुमार ने उन पर भरोसा जताते हुए पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया है।

आपको बताते चलें कि ललन सिंह ने जेडीयू कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि लालू-राबड़ी राज में मुसलमानों की स्थिति कैसी थी, सब लोग जानते हैं. वहीं आज तस्वीर बदल गई है। मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक समाज के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं लेकिन इसके बावजूद अल्पसंख्यक समाज नीतीश कुमार को वोट नहीं करते।

जिस पार्टी को मुसलमान वोट करते हैं, उसने अल्पसंख्यकों के लिए कुछ भी नहीं किया। असल में पिछले दिनों मुजफ्फरपुर में जेडीयू कार्यकर्ता सम्मेलन में ललन सिंह के बयान के बाद पार्टी के नेता असहज हैं। खासकर जो मुस्लिम नेता हैं, उनके लिए मुश्किलें बढ़ गईं हैं लेकिन अब नीतीश कुमार ने गुलाम रसूल बलियावी को बड़ी जिम्मेदारी देकर अल्पसंख्यक समाज के बीच एक मैसेज देने की कोशिश की है।

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