हिंदू धर्म में अधिकमास को भगवान विष्णु का प्रिय मास माना गया है। श्रीहरि की आराधना और धार्मिक कथाओं के आयोजन के लिए सर्वाधिक शुभ बताया गया अधिकमास 18 जुलाई को समाप्त हो चुका है। इसके साथ ही बाबा भोलेनाथ के प्रिय सावन माह के शुक्ल पक्ष की शुरूआत भी हो चुकी है।
19 वर्ष बाद सावन में बना था अति दुर्लभ संयोग
पंचांग की गणना के अनुसार इस वर्ष सावन माह की अवधि कुल 59 दिन की है। ऐसा 19 वर्षों में पहली बार हुआ है जब सावन माह में अधिकमाह भी आया है और श्रावण माह की अवधि बढ़ गई। पंचांग के अनुसार सावन माह का समापन रक्षाबंधन के पर्व के साथ ही 31 अगस्त 2023 (गुरुवार) को होगा।
अब 2026 में आएगा अधिकमास
ज्योतिषियों की गणना (Dharma Karma) के अनुसार अगला अधिकमास 17 मई 2026 को आरंभ होगा। इसक शुरूआत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की प्रथमा (प्रतिपदा) तिथि से होगी। ज्येष्ठ माह और अधिकमाह दोनों ही श्रीहरि के प्रिय माने गए हैं। अतः यह भी अत्यन्त शुभ संयोग में आएगा और यह माह पूरी तरह से भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यन्त श्रेष्ठ रहेगा।
सावन के सातवें सोमवार पर आएगी नागपंचमी
पंचांग की गणना के अनुसार सावन माह के सातवें सोमवार को नागपंचमी भी आ रही है। यह भी एक दुर्लभ संयोग है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इसके साथ ही जन्मकुडंली में कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नागदेव की पूजा की जाती है। बहुत से स्थानों पर उन्हें दूध भी पिलाया जाता है और कुछ स्थानों पर सपेरों के पास बंधक गए सांपों को जंगल में ले जाकर मुक्त छोड़ा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नागों की पूजा से समस्त कष्ट दूर होते हैं।