कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेमप्लेट! योगी सरकार के आदेश पर क्या बोला विपक्ष, मायावती ने बताया चुनावी स्टंट

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मुजफ्फरनगर प्रशासन के एक आदेश पर यूपी सीएमओ की मुहर लग गई है। योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान और ठेले लगाने वालों के लिए एक आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि सभी दुकानों, ठेलों पर मालिक अपना नाम लिखें, जिससे कांवड़ यात्री जान सके कि वो किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं। यूपी सरकार के आदेश की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार ने भी हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों के आगे मालिक का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया है। हरिद्वार एसएसपी ने इस बात की पुष्टि की है।

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने पीने की दुकानों पर नेमप्लेट लगानी होगी। दुकानों पर संचालक मालिक का नाम और पहचान लिखना होगा। सीएमओ के मुताबिक यह फैसला कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए लिया गया है। इसके साथ ही कांवड़ यात्रा के दौरान हलाल प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी।

योगी सरकार के इस फैसले के बाद पक्ष और विपक्ष में जुबानी जंग तेज हो गई है। बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने कहा कि ‘यूपी और उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ मार्ग के व्यापारियों को अपनी-अपनी दुकानों पर मालिक और स्टाफ का पूरा नाम प्रमुखता से लिखने और मांस बिक्री पर भी रोक का यह चुनावी लाभ हेतु आदेश पूर्णतः असंवैधानिक है। धर्म विशेष के लोगों का इस प्रकार से आर्थिक बॉयकॉट करने का प्रयास अति निंदनीय है।’

राकेश टिकैत बोले- नई शुरुआत नहीं होने देंगे

भारतीय किसान यूनियन के नेता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि मुजफ्फरनगर के लोग 2013 का दंगा झेल चुके हैं। इस तरह की नई शुरुआत नहीं होने देंगे। हिंदू-मुस्लिम सब मिलकर कांवड़ यात्रा निकलवाते हैं। कांवड़ के समय नई परंपरा शुरू नहीं होने देंगे। दंगा बाहर के लोग करके जाएंगे और मुजफ्फरनगर को झेलना पड़ेगा।’

‘सामाजिक सद्भाव की दुश्मन भाजपा’

यूपी प्रशासन के फैसले पर अखिलेश यादव ने एक्स अकाउंट पर लिखा कि ‘ठेले ढाबे सहित सभी दुकानदार अपना नाम बाहर जरूर लिखें। फरमान के पीछे सरकार की मंशा अल्पसंख्यक वर्ग को समाज से अलग बांटने की है। जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा। कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करे।’

संजीव बालियान ने अखिलेश पर साधा निशाना

पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘मुजफ्फरनगर पुलिस की ओर से जारी आदेश सभी के लिए अनिवार्य है। यह एक पूर्व प्रचलित व्यवस्था है। 2013 के दंगों के समय सपा सरकार द्वारा केवल मुस्लिमों को विस्थापित मानकर पांच लाख रुपये के मुआवजे का आदेश एक धार्मिक विभेद था।’

ओवैसी ने हिटलर से की तुलना

18 जुलाई को यूपी प्रशासन के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि ‘उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा। ताकि कोई कांवड़ियां गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जुडेनबॉयकॉट था।’

मुजफ्फरनगर के नाम पर राजनीति ना करेंः सपा सांसद

समाजवादी पार्टी के मुजफ्फरनगर से सांसद हरेंद्र मलिक ने कहा कि ‘मुजफ्फरनगर के नाम पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। सभी को सांप्रदायिक सौहार्द बनाकर रखना है।’

‘हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर होटल’

यूपी सरकार के फैसले पर स्वामी यशवीर महाराज ने कहा कि ‘सभी होटल-ढाबों के संचालक अपना सही नाम लिखें। कांवड़ मार्ग पर बड़ी संख्या में ऐसे होटल और ढाबे हैं, जिन पर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के नाम हैं, लेकिन उनके संचालक मुस्लिम धर्म के हैं। अक्सर वीडियो सामने आता है कि कोई व्यक्ति खाने में थूक रहा है। इस सबसे हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट होता है। इसलिए यह मुहिम चलाई गई है।’

‘नियम किसी जाति-धर्म के लिए नहीं’

कौशल विकास राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि ‘विपक्ष बेवजह मामले को तूल दे रहा है। पारदर्शिता में क्या बुराई है। नियम किसी जाति के लिए या धर्म के लिए नहीं है। सर्वसमाज के दुकानदारों को ऐसा करने के लिए कहा गया है।’

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