बिहार को उत्तरप्रदेश, झारखंड व बंगाल से जोड़ने वाला काशी-कोलकाता एक्सप्रेसवे को राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) का दर्जा मिल गया है। यह एक्सप्रेसवे एनएच 319 बी के नाम से जाना जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। राजमार्ग का दर्जा मिलते ही वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण की सभी बाधाएं भी दूर हो गई हैं।
वाराणसी के रेवासा गांव के निकट एनएच 19 से यह सड़क शुरू होगी। चंदौली होते हुए बिहार के चांद में यह प्रवेश करेगी। चैनपुर, रामपुर, तिलौथू, कुटुम्बा, इमामगंज, संग्रामपुर होते हुए झारखंड के हंटरगंज में प्रवेश करेगी। चतरा, पत्थलगड़ा, सेमरिया, चुरचू, पेटरवार, कसमार, जयपुर, पुरुलिया, पुंछा, तलडंगरा, गहरबेटा, घाटल होते हुए पश्चिम बंगाल में बगनान के निकट एनएच 16 पर जाकर यह सड़क समाप्त होगी। इस सड़क की कुल लंबाई लगभग 610 किलोमीटर है। बिहार में यह सड़क 159किमी लंबी होगी।
ये लाभ होंगे
● इस ग्रीनफील्ड (नई सड़क) एक्सप्रेसवे के बनने से बिहार के लोगों को यूपी, झारखंड और बंगाल आना-जाना आसान होगा। वर्ष 2026 तक इसका निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। कुल परियोजना पर 28 000 करोड़ से अधिक खर्च होंगे।
● बिहार के औरंगाबाद, कैमूर, रोहतास व गया जिले के लोगों को इसका सीधा लाभ होगा। पूरी सड़क बन जाने से वाराणसी से कोलकाता की दूरी 14 घंटे के बदले मात्र सात घंटे में पूरी करने का दावा किया गया है।
● बिहार, यूपी, झारखंड व पश्चिम बंगाल के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। विशेषकर हल्दिया बंदरगाह तक माल की आवाजाही आसान होगी।
सात पैकेज में निर्माण
बिहार में इस सड़क का निर्माण सात पैकेज में होना है। इसमें से छह का टेंडर जारी हो चुका है। जल्द ही निर्माण शुरू होगा। पैकेज चार का टेंडर होना बाकी है। इस पैकेज में कैमूर व सासाराम के बीच सुरक्षित इलाके (वन्यजीव अभ्यारण्य) में टनल का निर्माण होना है।
सोन पर बनेगा 6 लेन ब्रिज
एक्सप्रेसवे में सोन नदी पर एक पुल भी बनना है। यह पुल छह लेन का होगा। तिलौथू के समीप इस पुल का निर्माण होगा। ब्रिज व एप्रोच को मिलाकर इसकी कुल लंबाई लगभग 10.7 किमी है। पुल का निर्माण पैकेज पांच के तहत होगा। इसका टेंडर जारी हो गया है लेकिन एजेंसी का चयन अभी नहीं हो सका है।