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नवरात्रि की पूजा हवन के बिना नहीं होती है पूरी, पहले नोट कर लें सामग्री और सही विधि

BySumit ZaaDav

अक्टूबर 19, 2023
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15 अक्टूबर से शुरू हुई शारदीय नवरात्रि अब क्रमशः समापन की ओर जा रही है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के विभन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। साल 2023 में शारदीय नवरात्रि का समापन 24 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन के साथ होगा। उससे पहले 22 अक्टूबर को महा अष्टमी और 23 को महा नवमी है। ये दोनों की दिन कन्या पूजन के साथ-साथ हवन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना के साथ-साथ हवन करना अनिवार्य माना गया है, क्योंकि हवन के बिना नवरात्रि की पूजा पूरी नहीं होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं नवरात्रि में हवन विधि और सामग्री के बारे में हर जरूर बातें।

कब है दुर्गा अष्टमी और नवमी 2023?

पंचांग के अनुसार, नवरात्रि में अष्टमी तिथि की शुरुआत 21 अक्टूबर को रात 9 बजकर 53 मिनट से होगी। जबकि इस तिथि की समाप्ति 22 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 58 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, महा अष्टमी 22 अक्टूबर 2023 को मनाई जाएगी। वहीं पंचांग के मुताबिक आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 22 अक्टूबर 2023 को रात 7 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर 23 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार महानवमी का व्रत 23 अक्टूबर को रखा जाएगा। ऐसे में अष्टमी और नवमी तिथि समाप्त होने से पहले हवन की प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए।

नवरात्रि हवन-सामग्री लिस्ट

हवन कुंड, आम की लकड़ी, चावल, जौ, कलावा, शक्कर, गाय का घी, पान का पत्ता, काला तिल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, कपूर, बताशा आदि। धर्म शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि उपरोक्त हवन सामग्री के बिना पूजन कार्य संपन्न नहीं होता। ऐसे में नवरात्रि 2023 में हवन करने से पूर्व इन सामग्रियों को इकट्ठा कर लें।

हवन की विधि

नवरात्रि में हवन कार्य के लिए हवन कुंड बेहद खास होता है। इसी कुंड में अग्नि की स्थापना करके अग्नि देव को आहुति दी जाती है। ऐसे में हवन करने से पूर्व हवन कुंड को अच्छे से धोकर गंगाजल से अभिषिक्त कर लें। कई भक्त जमीन पर ही ईंट की सहायता से या मिट्टी खोदकर हवन कुंड का निर्माण करते हैं, ऐसे में यह नियम यहां लागू नहीं होगा। हवन कुंड को शुद्ध करने के बाद उसकी चारों तरफ कलावा बांधें। फिर उस पर स्वास्तिक बनाकर पूजा करें। इसके बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन आदि अर्पित करें। इसके बाद हवन सामग्री तैयार कर लें। इसमें घी, शक्कर, चावल और कपूर डालें।

फिर हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर 4 आम की लकड़ी रखें। फिर इसके बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें। इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्वलित करें। अब मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें। हवन संपूर्ण होने के बाद 9 कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं। इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। फिर कन्याओं को दक्षिणा या उपहार देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें।

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