National

NDA में राज ठाकरे के आने से BJP को कितना फायदा!, जानें मराठी वोटबैंक का समीकरण?

उत्तर भारतीयों के खिलाफ राज ठाकरे की अदावत किसी से छिपी नहीं है।इसीलिए बीजेपी मनसे प्रमुख से दूरी बनाती रही है, लेकिन बीते समय से राज ठाकरे यूपी बिहार के लोगों के बारे में बयान देने से बचते आ रहे हैं।ऐसे में बीजेपी का भी मन बदलता दिख रहा है।

लोकसभा चुनाव 2024 के शंखनाद के बाद राजनीतिक पार्टियों की ओर से रैली और सभाएं तेज हो गई है. साथ ही कई दलों का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और इंडिया ब्लॉक में एंट्री लेने का रास्ता भी खुला हुआ है. इसी कड़ी में आज एक तस्वीर ने सभी को सोचने पर विविश कर दिया कि क्या मनसे प्रमुख राज ठाकरे एनडीए में शामिल हो रहे हैं. दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से आज राज ठाकरे ने मुलाकात की. इसके बाद चर्चा जोरों पर होने लगी कि राज ठाकरे बीजेपी के साथ गठबंधन करने पर विचार कर रहे हैं. सियासी चर्चा होनी भी लाजिमी है. क्योंकि शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के साथ गठबंधन टूटने से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को महाराष्ट्र में मराठी वोट बैंक की चिंता सता रही है. मराठी वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने के लिए अब बीजेपी राज ठाकरे के साथ हाथ गठबंधन करने जा रही है. एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे अपने बेटे अमित ठाकरे और पार्टी के सीनियर नेता बाला नांदगावकर के साथ दिल्ली पहुंचे और बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की।

बताया जा रहा है कि भगवा पार्टी बीजेपी मराठी वोटों को बिखरने से रोकने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) से हाथ मिला रही है. जब से उद्धव शिवसेना गुट बीजेपी से अलग हुई है तब से सूबे में बीजेपी की पकड़ ढ़ीली पड़ी है. हालांकि, शिवसेना शिंदे गुट के साथ बीजेपी की सरकार है. बीजेपी खुद को राज्य में मजबूत स्थिति पेश कर रही है, लेकिन मराठी वोट बैंक अब शिवसेना उद्धव गुट और शिवसेना शिंदे गुट में बंट गए हैं. ऐसे में बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए सीधे-सीधे राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ हाथ बढ़ाने का फैसला किया है. हालांकि, अभी इसका औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के बीच गठबंधन अंतिम चरण में है. इसके बदले में बीजेपी एमएनएस को दक्षिण मुंबई की लोकसभा सीट दे सकती है. पार्टी ने अभी तक इस सीट से किसी भी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।

दोनों को एक-दूसरे की जरूरत
भारतीय जनता पार्टी और एमएनएस के साथ आने से दोनों दलों को फायदा है. जानकारों की मानें तो दोनों दलों को लोकसभा, विधानसभा और बीएमसी चुनाव में लाभ मिलेगा. यानी दोनों को एक दूसरे की जरूरत है. दरअसल, शिवसेना के टूटने के बाद सांसद और विधायक तो बड़ी संख्या में एकनाथ शिंदे के साथ चले गए, लेकिन मराठी मतदाता कितने कहां हैं अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है. शिवसेना शिंदे गुट और बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव होगा, जिसमें यह साफ हो पाएगा कि मराठी वोटर कितने किस पार्टी के पक्ष में हैं. ऐसे में राज ठाकरे के साथ बीजेपी ने सियासी गणित साधने की कोशिश की है।

मराठी वोटरों को रोकने की कवायद

बीजेपी और उद्धव ठाकरे की पार्टी की विचारधारा हिंदुत्व और हिंदुओं के उत्थान की रही है. महाराष्ट्र में शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की पकड़ अच्छी है.अंदर खाने बीजेपी को यह भी चिंता सता रही है कि कहीं उद्धव ठाकरे को सहानुभूति का फायदा न मिल जाए. इसलिए बीजेपी मराठी वोटरों को बंटने से रोकने के लिए राज ठाकरे को अपने पक्ष में करने की जुगत में है. हालांकि, राज ठाकरे उत्तर भारतीय विरोधी नेता के रूप में जाने जाते हैं. मुंबई में उत्तर भारतीय पर हुए हमलों को लेकर राज ठाकरे को ही जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. इसलिए अब तक बीजेपी ने उनसे दूरी बनाए रखी थी. लेकिन पिछले लंबे समय से राज ठाकरे उत्तर भारतीयों के खिलाफ विवादित बयान देने से बचते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी अब उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ने का मूड बना रही है।

मराठा आरक्षण आंदोलन

राज्य में मराठा आरक्षण की आग अभी तक बुझी नहीं है. आए दिन मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन होने लगते हैं. हाल ही में आंदोलन की अगुवाई कर रहे मनोज जरांगे ने भूख हड़ताल की थी. हालांकि, शिंदे और बीजेपी सरकार की ओर से आश्वासन मिलने के बाद वो शांत हो गए, लेकिन सबसे बड़ा फैक्टर राज्य में वोट बैंक को लेकर है. मराठा समाज पर शरद पवार की पार्टी राकंपा और कांग्रेस की पकड़ है. ग्रामीण इलाकों में इन दलों का अच्छा खासा दबदबा है. मराठा कांग्रेस-राकांपा का पुराना वोटबैंक रहा है. बीजेपी इसी वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मेहनत कर रही है. बीजेपी शुरुआती दौर से ही इस पर नजर बनाए हुए है. मराठा समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी काफी हद तक कामयाब भी हुई है. पार्टी अब राज ठाकरे के सहारे इसमें सेंध लगाने का प्रयास कर रही है।

2019 में ठाकरे ने बीजेपी के खिलाफ किया था प्रचार

2019 लोकसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने वाले राज ठाकरे ने पिछली बार लोकसभा में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था, लेकिन बीजेपी-शिवसेना उद्धव गुट के खिलाफ जमकर प्रचार किया था. अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कुल 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. कल्याण ग्रामीण से एनएन के एकमात्र उम्मीदवार राजू पाटिल ने विधानसभा चुनाव जीता. विधानसभा चुनाव में पार्टी के 86 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. कुल मिलाकर राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था, लेकिन इस बार सूबे का समीकरण बदला-बदला सा है. उद्धव ठाकरे अब बीजेपी के साथ नहीं हैं. बीजेपी को इस बात की चिंता है कि उद्धव ठाकरे को मराठा समुदाय की सहानुभूति नहीं मिल जाए।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी