बिहार में स्कूली शिक्षा को पटरी पर लाने के लिए शिक्षा विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इस काम में दिन रात लगे हुए हैं. इस प्रयास के बहुत हद तक सकारात्मक परिणाम भी सामने आये हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ शेष है. शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनने के बाद से आज तक केके पाठक स्कूल को सुव्यवस्थित करने में लगे हुए हैं और इसके लिए वो समय समय पर सख्त निर्देश और सख्त कार्रवाई करते रहे हैं. उनकी कार्रवाई से शिक्षकों में हड़कंप मचा रहता था।
32,828 शिक्षकों के वेतन कटौती की अनुशंसा
केके पाठक की सख्ती के बावजूद सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही कम होने का नाम नहीं ले रही है. शिक्षा विभाग का साफ कहना है कि शिक्षकों की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जायेगी. पिछले 10 माह में राज्यभर के सरकारी स्कूलों में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों का वेतन काटकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है. स्कूलों के निरीक्षण के दौरान अब तक बिना पूर्व सूचना के गायब रहने वाले 32,828 शिक्षकों के वेतन कटौती की अनुशंसा हुई है. बीते 10 महीनों के भीतर राज्य के लगभग 27 हजार शिक्षकों का वेतन काटा गया है।
सर्वाधिक लापरवाह शिक्षक दरभंगा में
वेतन कटौती में सर्वाधिक संख्या 3884 दरभंगा जिले के शिक्षकों की है. दूसरे स्थान पर नालंदा है, जहां के तीन हजार शिक्षकों की वेतन कटौती हुई है. हालांकि, वेतन कटौती की अनुशंसा सबसे अधिक नालंदा के 3886 शिक्षकों के लिए की गई. शिक्षा विभाग को जिलों से प्राप्त 16 मई तक के ये आंकड़े हैं. दरअसल, एसीएस केके पाठक के आदेश के बाद पिछले साल सरकारी स्कूलों में औचक निरीक्षण का सिलसिला शुरू हुआ. निरीक्षण में गायब मिलने वाले शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटा जाता है।
सबसे कम मामले शिवहर में
शिक्षा विभाग की ओर से 1 जुलाई, 2023 से नियमित स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है. स्कूलों में निरीक्षण करने गए पदाधिकारी इसकी रिपोर्ट जिले को देते हैं. दरभंगा और नालंदा के बाद सबसे अधिक 1677 शिक्षकों का वेतन सारण जिले में कटा है. औरंगाबाद में 1332, भागलपुर के 1132, नवादा के 1048, सुपौल के 994, पूर्वी चंपारण के 921, अररिया के 918, मधुबनी के 888, समस्तीपुर में 775, बेगूसराय में 756 तथा सीतामढ़ी के 715 वेतन कटा है. सबसे कम शिवहर जिले के 57 शिक्षकों के वेतन कटे हैं।