बिहार में जमीन की मापी के लिए बनाया गया नया नियम, कर्मचारी का पावर खत्म

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बिहार में भूमि राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने जमीन की मापी के नियमों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। विभाग के प्रमुख सचिव ने इस संबंध में एक पत्र जारी करते हुए जिला अधिकारियों को बताया है कि माफी के लिए अब राजस्व कर्मचारी की रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं होगी।

पत्र के साथ ही मापी के लिए एक नया प्रारूप भी शामिल किया गया है, जो एक शपथ पत्र है। इस शपथ पत्र को जमीन मापी की प्रक्रिया में शामिल रैयतों को जमा करना होगा। रैयत शपथ पत्र में यह कहेंगे कि जिस जमीन की मापी के लिए वे आवेदन कर रहे हैं, उस पर उनका मालिकाना हक है और जमीन से जुड़ा कोई भी विवाद किसी भी न्यायालय में लंबित नहीं है।

अगर कोई मामला न्यायालय में लंबित है और न्यायालय ने नवीनीकरण का आदेश दिया है, तो रैयत को आदेश की प्रति के साथ आवेदन दाखिल करना होगा। शपथ पत्र में यह भी लिखना होगा कि अगर भविष्य में उनके दावे गलत पाए गए, तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

पिछले दिनों में मापी की समीक्षा से पता चला कि राजस्व कर्मचारियों की रिपोर्ट में देरी के कारण कई मामले लंबित थे। इस समस्या को देखते हुए विभाग ने तय किया है कि अब शपथ पत्र के आधार पर ही जमीन की मापी का निर्णय लिया जाएगा। विभाग ने जमीन माफी के लिए आवेदनों को 30 दिनों के अंदर निपटाने का आदेश भी जारी किया है।

अंचल अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे रैयत के शपथ पत्र के आधार पर मापी का निर्णय लें और आवेदन को स्वीकृत करने के बाद रैयत को माफी शुल्क जमा करने के लिए कहें। यह सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन की जाएंगी, और अगर कोई रैयत ऑफलाइन आवेदन करता है, तो उसका निपटारा भी ऑनलाइन ही किया जाएगा।

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.