करवा चौथ का त्योहार आते ही बाजारों में उत्साह और रौनक बढ़ जाती है। इस अवसर पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और पूजा में सजाए गए करवे (मिट्टी के कलश) का इस्तेमाल करती हैं। देश भर में कारीगर इस समय अपने हाथों से सजाए गए करवे तैयार करने में व्यस्त हैं, जिन्हें न सिर्फ स्थानीय बाजारों में बल्कि राज्य के कई हिस्सों में भी भेजा जा रहा है।
कारीगरों की महीनों पहले से होती है तैयारी
उत्तर प्रदेश में इटावा के कुम्हारों का कहना है कि करवा चौथ से 2-3 महीने पहले ही करवे बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस साल भी उन्होंने त्योहार की मांग को देखते हुए बड़े पैमाने पर करवे तैयार किए हैं। करवा चौथ पर महिलाएं इन करवों का उपयोग कर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। कारीगर बताते हैं कि करवा चौथ पर सजावट और डिज़ाइन का बहुत महत्व होता है, और हर साल नए ट्रेंड्स के अनुसार करवे बनाए जाते हैं।
मिट्टी के करवों की बढ़ती मांग
कारीगरों के अनुसार, करवे केवल इटावा में ही नहीं बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी काफी मांग में हैं। इटावा से लखनऊ, कानपुर और अन्य शहरों में भी इन करवों की आपूर्ति की जाती है। कारीगरों का कहना है कि वे हर साल इस मौके पर हजारों करवे बनाते हैं, जो त्योहार के दौरान खूब बिकते हैं। इस साल भी पहले से ही काफी ऑर्डर आ चुके हैं और त्योहार के दिन से पहले ही इनकी बिक्री चरम पर होती है।