बिहार कृषि विश्वविद्यालय में गन्ने का नया बीज हो रहा तैयार, अब पूर्वी बिहार में बढ़ेगी खेती
वर्षों बाद एक बार फिर से पूर्वी बिहार में गन्ना की फसल लहलहाएगी। इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय बीज तैयार कर रहा है। इस वर्ष के अंत तक किसानों को गन्ने का बीज मिलने लगेगा। इससे न सिर्फ गन्ना की खेती का रकबा बढ़ेगा, बल्कि लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने से उनके जीवन में भी मिठास घुलेगी।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय में गन्ना का बीज भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान मुजफ्फरपुर के मोतीपुर स्थित क्षेत्रीय केन्द्र से लाया गया है। फिलहाल इस बीज को एक एकड़ में लगाया गया है। इसमें वेरायटी सीओ-0118, सीओपी-9301, सीओएलके-94184 और सीओपी-16437 हैं। सीओ-0118 जल्द पकने वाली वेरायटी है और प्रति हेक्टेयर करीब 800 क्विंटल उत्पादन देती है।
वहीं सीओपी-9301 प्रति हेक्टेयर 900 क्विंटल और सीओपी-16437 एक हजार क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देगा। सीओएलके-94184 से भी करीब 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होगा। इसकी खास बात यह है कि यह जलजमाव और नमी की कमी दोनों परिस्थितियों में भी कामयाब है।
गन्ने के साथ लगेगी अन्य फसल
गन्ने की खेती करने वाले किसान सिर्फ गन्ना पर ही निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि उसके साथ लगने वाली अन्य फसलों से भी कमाई करेंगे। जिस खेत में गन्ना लगेगा, उसी खेत में गन्ने के बीच में आलू, सरसों, गेहूं आदि फसलों को लगा सकते हैं। गन्ना तैयार होने के पहले ये फसलें भी तैयार हो जायेंगी। इन फसलों से भी मुनाफा कमाया जा सकता है। यानी एक ही खेत में एक साथ एक से अधिक फसलों को लगाकर डबल मुनाफा कमाया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट के इंचार्ज डॉ. हरिओम ने बताया कि भागलपुर एवं आसपास के जिलों में इसकी काफी संभावना है और इसे आसानी से उगाया जा सकता है।
अभी गन्ना जिले के पीरपैंती, कहलगांव और बांका के अमरपुर आदि इलाकों में उपजाई जाती है। इसका क्षेत्रफल बढ़ाकर किसानों को अपनी आय बढ़ाने की काफी संभावना है। गन्ने की इन वेरायटी को अक्टूबर-नवंबर या फिर 15 फरवरी से 15 मार्च तक लगाने का उपयुक्त समय होगा।
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