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बिहार की राजनीति में हो गई निशांत कुमार की एंट्री! तेजस्वी और चिराग के लिए बनेंगे खतरा?

ByLuv Kush

मार्च 17, 2025
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वह सीएम के इकलौते बेटे हैं. 45 साल के निशांत की पॉलिटिकल एंट्री की पटकथा लिखी जा चुकी है. होली के मौके पर तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं से उनकी औपचारिक रूप से मुलाकात कराई गई. तमाम कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.

राजनीति में हो गई निशांत कुमार की एंट्री?: निशांत कुमार जहां जेडीयू के लिए जरूरी हैं, वहीं एनडीए की मजबूरी भी हैं. जनता दल यूनाइटेड फिलहाल नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है लेकिन पार्टी अब सेकंड लाइन लीडरशिप डेवलप करना चाहती है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र को आगे किया जा रहा है. अब तक राजनीति से तौबा करने वाले निशांत राजनेताओं से मिल रहे हैं और राजनीतिक मुद्दों पर बात कर रहे हैं. एक तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि किस तरीके से विजय चौधरी और कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के कंधे पर हाथ रखकर निशांत आगे बढ़ रहे हैं.

निशांत का नेतृत्व बड़े नेताओं को भी मंजूर: नीतीश कुमार अपनी उम्र के ढलान पर हैं और राजनीति में अब वह लंबी पारी नहीं खेल सकते. ऐसे में जेडीयू के सामने चुनौती यह है कि नीतीश की राजनीतिक विरासत को आगे कौन बढ़ाएगा, किसके नेतृत्व में पार्टी नीतीश कुमार के बाद एकजुट रह पाएगी और किसके नाम पर वोट बैंक में विखराव नहीं होगा? मंथन के बाद निशांत का नाम सर्वसम्मति से सामने आया और तमाम नेताओं ने निशांत को स्वीकार करने के संकेत भी दे दिए हैं.

युवा आबादी वाला राज्य है बिहार: बिहार में 19 साल से लेकर 25 साल तक के बीच युवाओं की आबादी अच्छी खासी है. एक अनुमान के मुताबिक बिहार में लगभग 55 से 60% आबादी युवाओं की है. युवाओं की आबादी को देखते हुए राजनीतिक दल और नेता युवा चेहरे को आगे कर रहे हैं. ज्यादातर राजनीतिक दलों ने अपने दल के अंदर युवाओं को आगे किया है, अब जेीयू भी युवा नेता निशांत को आगे करने की तैयारी में है.

इंजीनियर निशांत पर जेडीयू को भरोसा: निशांत बीआईटी मेसरा से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर चुके हैं और धार्मिक प्रवृत्ति के हैं. निशांत का मन पूजा-पाठ में अधिक लगता है और राजधानी पटना के मंदिरों में वह पूजा-पाठ करते देखे जा सकते हैं. निशांत के मनोभाव में भी बदलाव आया है और उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया है. वह नेताओं के बीच जा रहे हैं और सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा भी ले रहे हैं. पिछले जुलाई महीने से ही सिलसिला शुरू हुआ है.

जेडीयू दफ्तर में लगा स्वागत पोस्टर: निशांत कुमार की राजनीतिक पारी की शुरुआत के संकेत इस बात से भी समझ में आते हैं कि जेडीयू दफ्तर में एक पोस्टर लगा है, जिसमें उनका इस बार के लिए आभार जताया गया है कि उन्होंने बिहार के लोगों की अपील को स्वीकार कर लिया है और राजनीति में आने का फैसला कर लिया है. जेडीयू नेता राहुल खंडेलवाल का कहना है कि सभी लोग उत्साहित हैं और उनके नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं.

“निशांत जी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र हैं और उनके अंदर पूरी क्षमता है. पार्टी में अगर उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जाती है तो हम लोग उसका स्वागत करेंगे. निशांत युवा नेता हैं और पार्टी को एक मुखर युवा नेता की तलाश भी हैं. तमाम कार्यकर्ता और नेता उनके स्वागत के लिए तैयार हैं.”- राहुल खंडेलवाल, नेता, जनता दल यूनाइटेड

निशांत ही नीतीश के राजनीतिक उत्तराधिकारी: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि निशांत कुमार की एंट्री जेडीयू के लिए मजबूरी है. नीतीश कुमार के राजनीतिक किले को कायम रखने के लिए निशांत ही तुरूप का इक्का का साबित हो सकते हैं. निशांत कुमार पिता की राजनीतिक विरासत को संभालेंगे. कई दलों ने पिछले दिनों युवा नेता को आगे भी किया है. जेडीयू के समक्ष भी चुनौती इस बात की थी.

तेजस्वी-चिराग के लिए बन सकते हैं चुनौती?: राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि निशांत कुमार की एंट्री से जेडीदयू और एनडीए को फायदा होगा. निशांत एक सरल और सौम्य स्वभाव के व्यक्ति हैं. नीतीश कुमार की तरह वह अपनी बात रखते हैं. उन्होंने कहा कि जो कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार के बाद जेडीयू कई खेमे में बंट सकता है लेकिन अब इस पर विराम लगता दिख रहा है. वहीं, युवा नेता के तौर पर वह तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और संतोष सुमन के लिए चुनौती बन सकते हैं.

“निशांत कुमार के राजनीति में आने से जेडीयू में खेमेबाजी पर विराम लग जाएगा. वह सरल और सौम्य स्वभाव के व्यक्ति हैं, उनका नेतृत्व पार्टी के नेताओं को भी आसानी से स्वीकार हो जाएगा. वह युवा भी हैं, ऐसे में तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और संतोष कुमार सुमन जैसे युवा नेताओं के लिए चुनौती बढ़ सकती है.”- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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