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‘हरनौत विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे निशांत कुमार’, होगया फाइनल?

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बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच निशांत कुमार की चर्चा खूब हो रही है. सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार पहली बार राजनीति मैदान में उतर सकते हैं और नालंदा के हरनौत विधानसभा से चुनाव भी लड़ेंगे, इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

क्या है जनता की राय?

बता दें कि हरनौत विधानसभा जदयू का अभेद किला है. नीतीश कुमार ने भी अपना राजनीतिक सफर यहीं से शुरू किया था. अब बेटे निशांत कुमार की चर्चा है. ऐसे में हरनौत वासियों ने इस मसले पर अपनी राय रखी. ईटीवी भारत से बातचीत में कई ने इसका समर्थन किया तो कई ने इसका विरोध भी किया।

‘निशांत कुमार लड़े चुनाव’

इस संबंध में हरनौत के रहने वाले युवा होमियोपैथ डॉ. धनंजय कुमार ने कहा कि देश में नीतीश कुमार समाजवादी नेता के तौर पर जाने-पहचाने जाते हैं. उनकी कोई व्यक्तिगत इच्छा नहीं है कि उनका पुत्र राजनीति में आए या अपनी विरासत निशांत कुमार को सौपें. हालांकि यहां के लोगों की इच्छा है कि निशांत चुनाव लड़ें।

“नीतीश कुमार नालंदा के किसी भी क्षेत्र में अपनी पार्टी के सिंबल से चुनाव लड़ाएंगे तो वे निश्चित रूप से विजय प्राप्त करेंगे, क्योंकि उनके द्वारा किए गए कार्यों, न्याय के साथ विकास. साथ सबका साथ सबका विकास के अलावा सुशासन के मॉडल पर पूरे बिहार के लोग वोट करते आए हैं और करेंगे.” – डॉ. धनंजय कुमार

‘रिटायरमेंट की जरूरत नहीं’

युवा छात्र विकास कुमार ने बताया कि निशांत कुमार सामाजिक और पढ़े लिखे पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं. निशांत शिक्षित हैं. कहा कि सीएम नीतीश कुमार के बेटे या कोई भी नालंदा के किसी क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे तो जीतेंगे. नीतीश कुमार के रिटायरमेंट पर कहा कि अभी इसकी जरूरत नहीं है।

“अभी उन्हें रिटायरमेंट की जरुरत नहीं है. उनका अनुभव बिहार के विकास के लिए हमेशा काम आएगा. बीमार कोई भी हो सकता है. ऐसा नहीं कि वे रिटायर हो गए हैं. अगले चुनाव के बाद रिटायर होना चाहिए.” – विकास कुमार

हरनौत बाज़ार निवासी व्यवसाय अनिल कुमार बताते हैं कि “निशांत कुमार चुनाव में आते हैं तो नीतीश कुमार के वंशवादी नेता होने पर सवाल खड़ा होगा. ऐसे आला कमान का जो फैसला होगा, उसे हम सभी मानेंगे. ऐसे हमलोगों की चाह है कि वे इस कार्यकाल को पूरा कर रिटायरमेंट लें.”

‘परिवारवाद उठेगा सवाल’

व्यवसाय शशिभूषण प्रसाद ने कहा कि निशांत कुमार के चुनाव लड़ने की बात हवा हवाई है. विपक्ष मुद्दाविहीन होने की वजह से उसे चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है. अगर नीतीश कुमार अपने पुत्र को चुनाव लड़ाते हैं तो परिवारवाद को लेकर उनपर सवाल उठने लगेगा तो फिर उन्हें बोलने का कोई हक नहीं होगा।

“1985 में नीतीश कुमार चुनाव लड़कर पहली बार विधायक बनें थे. हम उनके चुनाव प्रचार में थे. उनसे मुलाकात हुई थी. अब उनसे मिलना बहुत मुश्किल होता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संन्यास लेते हैं, इसके बाद बेटा को चुनाव लड़ा सकते हैं.” –शशिभूषण प्रसाद

पार्टी कमान भी सौंपने की चर्चा

आपको बता दें कि हरनौत विधानसभा क्षेत्र चुनाव लड़ने के साथ साथ पार्टी कमान भी निशांत को सौपें जाने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है. इसको लेकर बिहार में राजनीतिक चर्चा शुरू हो गयी है. हालांकि ना ही नीतीश कुमार और ना ही पार्टी की ओर से इसकी जानकारी है।

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