पटना. विपक्षी दलों की बेंगलुरु बैठक में आखिर ऐसा क्या हुआ कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होना मुनासिब नहीं समझा. यह एक ऐसा प्रश्न है जो बेंगलुरु की बैठक के बाद हर किसी के जेहन में है क्योंकि विपक्ष को एकजुट करने का आइडिया ही नीतीश कुमार का रहा है. उन्हीं का आइडिया अब इंडिया (I.N.D.I.A) के रूप में सामने है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार को इसी I.N.D.I.A से असहमति थी. बेंगलुरु की बैठक में I.N.D.I.A नाम की पेशकश भी तृणमूल नेता ममता बनर्जी ने पेश की थी जिसका समर्थन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किया था. कहा जा रहा है कि ममता की पेशकश और राहुल के समर्थन के बीच कुछ पार्टियों को इस नाम पर आपत्ति थी, जबकि अन्य को लगा कि यह राजनीतिक गठबंधन के लिए उपयुक्त नहीं है, उनमें से एक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी थे।
बैठक से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 26 पार्टियों की बैठक में अलग अलग दलों की ओर से कई नाम सुझाये गए थे. इसमें प्रोग्रेसिव पीपल ऑफ इंडिया, प्रोग्रेसिव पीपुल्स फ्रंट, इंडियन पीपुल्स फ्रंट, प्रोग्रेसिव पीपुल्स अलायंस और पीपुल्स अलायंस फॉर इंडिया जैसे कई नामों का सुझाव दिया गया था लेकिन उन्हें खारिज कर दिया गया था. बाद में सोमवार रात को कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के वार्ताकारों के बीच व्हाट्सएप संदेशों और मोबाइल कॉलों ने विपक्ष के लिए समूह के नाम के रूप में I.N.D.I.A को अपनाने के लिए मंच तैयार कर दिया।
यही वजह रही ममता बनर्जी द्वारा 26 पार्टियों की बैठक में इसे पेश करने के बाद राहुल गांधी की I.N.D.I.A की जोरदार वकालत की और बाद में इस नाम पर मुहर लगा दी गई. सूत्रों ने कहा कि राहुल ने नाम का जोशीला बचाव करते हुए कहा कि “जो एनडीए का विरोध कर रहे हैं वे आई.एन.डी.आई.ए. के साथ हैं.” कहा जा रहा है कि नाम को अंतिम रूप देने की दौड़ तब शुरू हुई जब राहुल ने अपने वार्ताकारों से I.N.D.I.A सहित अपने दो-तीन सुझावों के साथ ममता तक पहुंचाने के लिए कहा। कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल सबसे पहले राहुल का संदेश लेकर तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन के पास पहुंचे, जिसे ममता के साथ साझा किया गया।
दोनों शीर्ष नेताओं का झुकाव I.N.D.I.A की ओर था, लेकिन इस बात पर असहमति थी कि यह ‘राष्ट्रीय’ होना चाहिए या ‘नया’ और ‘लोकतांत्रिक या विकासात्मक’ होना चाहिए। देर रात दोनों नेताओं के बीच ‘भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन’ यानी I.N.D.I.A पर सहमति बनी. नेताओं ने यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती कि नया नाम प्रतिद्वंद्वी एनडीए जैसा न लगे. साथ ही कांग्रेस और टीएमसी नेताओं की वार्ता में ही यह तय हुआ कि ममता बनर्जी ही इस नाम को 26 दलों की बैठक में पेश करें क्योंकि राहुल इसे कांग्रेस के विचार के रूप में पेश नहीं करना चाहते थे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणियों के बाद जैसे ही ममता को बोलने के लिए बुलाया, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक नाम की आवश्यकता के बारे में स्पष्ट रूप से बताया और इसका सुझाव दिया।
हालांकि कहा जा रहा है कि कई नेताओं ने I.N.D.I.A प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की लेकिन नीतीश इससे प्रभावित नहीं हुए और पूछा कि यह एक राजनीतिक गठबंधन का नाम कैसे हो सकता है और क्या देश के नाम से जुड़े इस तरह के संक्षिप्त नाम का उपयोग करना राजनैतिक रूप से उचित है? बैठक में मौजूद अन्य वामपंथी नेताओं के साथ संक्षिप्त परामर्श के बाद, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने सुझाव दिया कि वे ‘वी फॉर इंडिया’ या ‘वी 4 इंडिया’ का उपयोग कर सकते हैं जहां ‘वी’ का मतलब जीत है. तर्क यह था कि यह युवाओं और नई पीढ़ी को आकर्षित कर सकता है, लेकिन कुछ लोगों को लगा कि यह गठबंधन के नाम से ज्यादा एक नारा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नाम पर लंबी चर्चा से प्रभावित नहीं हुए और उन्होंने पूछा कि वे सीट बंटवारे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात क्यों नहीं कर रहे हैं, जाहिर तौर पर वे दिल्ली और पंजाब में संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं. अपने हस्तक्षेप के दौरान, सूत्रों ने सुझाव दिया कि राहुल ने AAP को एक संकेत भेजा, जिसमें कहा गया कि वे सभी एक वैचारिक लड़ाई लड़ रहे थे और इसे जीतने के लिए, कांग्रेस उदार होने को तैयार थी. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूछा कि गठबंधन का नाम यूपीए या यूपीए-3 क्यों नहीं रखा जाए, लेकिन इसे भी लोगों ने पसंद नहीं किया और कहा कि मौजूदा यूपीए बहुत बदल गया है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ‘भारत जोड़ो गठबंधन’ का सुझाव देकर कांग्रेस नेताओं को भी आश्चर्यचकित कर दिया, उन्होंने कहा कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा शानदार रही थी।
सूत्रों की मानें तो एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोनिया को सुझाव दिया कि नाम पीपुल्स अलायंस फॉर इंडिया हो सकता है, लेकिन पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वह निर्णय लेने में शामिल नहीं थीं. सूत्रों ने कहा कि सोनिया ने नेताओं से कहा कि उन्हें काम करना है और उन्हें एकजुट रहना है. अंत में अधिकांश दलों ने I.N.D.I.A नाम पर सहमति जताई. साथ ही यह भी स्पष्ट हुआ कि इस नाम के पीछे मुख्य रूप से राहुल गांधी की सोच रही और उन्होंने काफी जोरदार तरीके से नाम के पक्ष में तर्क दिए जिसका कुछ नेताओं को छोड़कर सबने सहमति जताई।