बिहार में बिगड़ती कानूनी-व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार ने उग्रवादियों, बालू और शराब तस्करों के विरुद्ध सूचना देने वाले को अब पुरस्कार देने की घोषणा की है। सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा। पुरस्कार की राशि तीन सौ से लेकर तीन लाख रुपये तक की होगी। अलग-अलग रैंक के पुलिस पदाधिकारी अलग-अलग राशि पुरस्कार स्वरूप दे सकेंगे।
पुलिस मुख्यालय ने पूर्व में ही हर जिले से उग्रवादियों, अवैध बालू कारोबारियों और जघन्य अपराध में शामिल अपराधियों की सूची मंगवाई थी। अब इस पर कार्रवाई शुरू हो गई है। राज्य सरकार के उपसचिव सुधांशु कुमार चौबे द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि बालू और शराब कारोबारियों के कारण कानून-व्यवस्था की समस्या लगातार उत्पन्न हो रही है। अब इस धंधे में संगठित माफिया भी शामिल हो गए हैं। ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
पुरस्कार की घोषणा क्यों की गई?
इस तरह की गतिविधियों में अंतरराज्यीय अपराधियों का भी हाथ रहता है। इसी कारण इनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए पुरस्कार की घोषणा की गई है। उन्होंने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि राज्य में नक्सली घटनाओं में कमी आई है। अपराधी नक्सलियों के नाम पर अपराध करते है और दूसरे राज्यों में शरण ले लेते हैं। ऐसी स्थिति में अपराधियों तक पहुंचने में पुलिस को परेशानी होती है। इन्हें पकड़ने के लिए पुरस्कार की घोषणा जरूरी है।
उन्होंने अपने आदेश में यह भी कहा है कि गुमशुदा बच्चों की भी समस्या पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती का विषय है। ऐसी स्थिति में गुमशुदा बच्चों की सूचना देने पर संबंधित व्यक्ति को तीन सौ रुपये का ईनाम दिया जाएगा। अपराध की विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग धनराशि की घोषणा की गई है। पुरस्कार के पात्र वहीं लोग होंगे, जिनकी अनुशंसा पुलिस पदाधिकारी के स्तर से होगी।
एक लाख रुपये का पुरस्कार अपर पुलिस महानिदेशक (विधि-व्यवस्था) की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा तय किए गए व्यक्ति को दी जाएगी। इस समिति में पुलिस अपर महानिदेशक अभियान और सीआईडी के एडीजी को भी रखा जाएगा। तीन लाख रुपये का पुरस्कार पुलिस महानिदेशक देंगे। इसके लिए प्रधान सचिव व अपर मुख्य सचिव गृह से अनुमोदन लेना होगा। पचास हजार तक की पुरस्कार राशि देने का अधिकार डीआईजी और आईजी को दिया गया है। 25 हजार रुपये के ईनाम की राशि एसपी भी दे सकते हैं। इसके लिए डीआइजी से पूर्व अनुमति लेनी होगी।
इस दिशा-निर्देश को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश सरकार के उपसचिव द्वारा दिया गया है। मालूम हो कि पूर्व बिहार, सीमांचल और कोसी के इलाके से 300 से ज्यादा बच्चे लापता हैं। अब ऐसे बच्चों को ढूंढने में आसानी होगी। पूर्व बिहार का इलाका बालू और शराब तस्करी के लिए भी मशहूर रहा है। जमुई, लखीसराय और बांका में नक्सली गतिविधियां भी होती रही हैं। अब ऐसी स्थिति में पुरस्कार की घोषणा से अपराधियों को पकड़ने में पुलिस को आसानी होगी.