बिहार विधान सभा का चुनाव होने में एक साल का समय शेष है. ऐसे में नीतीश कुमार ने रणनीति बनाना शुरु कर दिया है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सीएम नीतीश ने पूर्व आईएएस मनीष वर्मा को पार्टी में एक महत्वपूर्ण भूमिका में लाने का शायद निर्णय कर लिया है।
नीतीश कुमार लगातार भम्रण पर रहे, कार्यकर्ताओं से मिल रहे है,जेडीयू की स्थिति और उसके कार्यकर्ताओं की भावना को समझने का प्रयास किया .इधर जेडीयू के राज्य भर में कार्यकर्ताओं का समागम आज मुजफ्फरपुर में हो रहा है. इसकी कमान जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा के हाथों में है. वर्मा मुजफ्फरपुर से आज यानी शुक्रवार से अभियान की शुरुआत करेंगे. अगले चार महीनों तक सभी जिलों में घूमकर जेडीयू कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की नब्ज टटोलेंगे. इसे मनीष वर्मा को जेडीयू में फ्रंट फुट पर लाने की नीतीश के कोशिश के रूप में राजनीतिक जानकार देख रहे हैं।
मनीष वर्मा को फ्रंट फुट पर लाने का निर्णय इस बात का संकेत है कि नीतीश कुमार पार्टी को नई दिशा देने के लिए गंभीर हैं. मनीष वर्मा पटना के पूर्व जिलाधिकारी रह चुके हैं. नीतीश को लगता है कि उनको फंट पर लाने से जेडीयू को एक नई ऊर्जा मिल सकती है. सीएम नीतीश वर्मा की राजनीतिक समझ और अनुभव का लाभ पार्टी के लिए करना चाहते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के निर्देश पर सूबे के 38 जिलों में कार्यकर्ताओं का समागम होगा. इसकी शुरुआत आज मुजफ्फरपुर से होगी और समापन 20 जनवरी 2025 को नालंदा में होगा. सबसे बड़ी बात है कि जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा सभी जिलों के कार्यकर्ता समागम में मुख्य अतिथि होंगे. इसे नीतीश के बड़े फैसले के रुप में देखा जा रहा है।
नीतीश कुमार मनीष वर्मा के माध्यम से जेडीयू की नब्ज़ टटोलने का प्रयास कर रहे हैं ताकि वे यह जान सकें कि पार्टी को किस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. नीतीश कुमार का यह कदम आगामी चुनावों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हो सकता है. मनीष वर्मा को फंट पर ला कर नीतीश ने कई नेताओं को संदेश दे दिया है, जिसका असर कुछ दिनों में देखने को मिल सकता है।