बिहार में मिथिलांचल इलाके में एनडीए का प्रदर्शन लगातार अच्छा रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार इसलिए बन पायी क्योकि मिथिलांचल के लोगों ने एनडीए का भरपूर साथ दिया. लोकसभा चुनाव में भी मिथिलांचल फिर से एनडीए के लिए एक मददगार बना है. ऐसे में नीतीश कुमार ने मिथिलांचल में अपनी पकड़ और मजबूत बनाने के लिए मिथिलांचल से आने वाले अपने खास संजय झा को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है।
संजय झा क्यों हैं महत्वपूर्णः संजय झा, नीतीश कुमार के कई अभियान को सफलतापूर्वक पूरा कर चुके हैं. सरकार के स्तर पर नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट गंगाजल को राजगीर, गया, नवादा जैसे इलाकों में पहुंचाने का काम संजय झा ने ही पूरा किया है. हर खेत तक पानी पहुंचाने का काम भी संजय झा जल संसाधन मंत्री के रूप में काफी आगे बढ़ा चुके हैं. दूसरी तरफ बीजेपी के साथ बेहतर तालमेल में भी संजय झा बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं. महागठबंधन से नीतीश कुमार की एनडीए में इस बार वापसी में संजय झा की ही बड़ी भूमिका मानी जाती है।
“संजय झा को संगठन का व्यापक अनुभव है, जिसका लाभ पार्टी को मिलेगा. उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य सरकार में रहते हुए किए हैं तो पार्टी नहीं ऊंचाई को उनके नेतृत्व में छूएगा.”- अभिषेक झा, प्रवक्ता जदयू
विधानसभा चुनाव की तैयारीः बिहार में विधानसभा चुनाव अगले साल होना है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा जाएगा. बीजेपी के साथ बेहतर तालमेल और सीटों का बंटवारा एक बड़ी चुनौती होगी. नीतीश कुमार को इसमें संजय झा पर भरोसा है. 2020 विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के अलग चुनाव लड़ने के कारण जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा था तो नीतीश कुमार जदयू के पुरानी पोजीशन को हासिल करना चाहते हैं।
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा है सपनाः जदयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का प्रयास नीतीश कुमार पिछले 20 सालों से कर रहे हैं. जदयू के बाद आई कई पार्टी जिसमें अरविंद केजरीवाल की ‘आप’ भी है, राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया. जदयू अभी भी दूर है. जदयू का अभी बिहार के अलावा अरुणाचल और मणिपुर में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. जदयू को यदि किसी और एक राज्य में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है तो राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाएगी. संजय झा दिल्ली के लंबे समय से प्रभारी रहे हैं, हालांकि दिल्ली में जदयू को कभी सफलता नहीं मिली. एनडीए से तालमेलकर संजय झा ने वहां चुनाव जरूर लड़वाया है. दिल्ली, एकमात्र ऐसा राज्य है जहां जदयू का बीजेपी के साथ तालमेल हुआ है।
“नीतीश कुमार ने बहुत सारे समीकरण साध लिया है. बीजेपी के साथ जो भी कठिनाइयां हैं संजय झा के माध्यम से उसे दूर करने हैं की कोशिश नीतीश कुमार की होगी.”- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक
नीतीश कुमार के विश्वासपात्र हैंः राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय कहते हैं कि संजय झा सुलझे हुए नेता हैं. नीतीश कुमार के विश्वासपात्र भी हैं. अभी तक नीतीश कुमार को सभी ने धोखा दिया है, चाहे आरसीपी सिंह हो ललन सिंह हो उससे पहले शरद यादव. कभी ना कभी सबने धोखा दिया है. लेकिन पिछले 20 साल से संजय झा नीतीश कुमार के साथ हैं. मंत्री के स्तर पर भी नीतीश कुमार की कई ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा किया है. मिथिलांचल की आवाज उठाने में संजय झा आगे रहे हैं चाहे दरभंगा एयरपोर्ट का मामला हो या फिर दरभंगा एम्स का मामला या कोसी में डैम बनाने का मामला हो।
कोई विरोधाभास नहींः बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष पाठक का कहना है कि संजय झा गुड गवर्नेंस और सबका साथ सबका विकास जो एनडीए की मूल धारणा है उसे आगे बढाने का काम करेंगे. नीतीश कुमार ने अपर कास्ट के वोटर को लुभाने की कोशिश की है. इस पर संतोष पाठक का कहना है कि एनडीए में वोटर को लेकर कहीं कोई कंफ्यूजन नहीं है क्योंकि एनडीए में जितने घटक दल हैं खासकर जदयू के साथ बीजेपी का नेचुरल एलाइंस हैं. नीतीश कुमार भले ही राजद में गए हों लेकिन जब एनडीए में रहते हैं तो सहज रहते हैं. एनडीए में समाज के सभी वर्ग को समान अवसर मिलता रहा है तो संजय झा भी उसी के प्रतिरूप हैं कहां कोई विरोधाभास है।
क्या है नीतीश का गेम प्लानः
- बीजेपी के साथ बेहतर तालमेल बना रहे.
- बीजेपी के साथ विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग में विवाद ना हो.
- मिथिलांचल में जदयू की पकड़ और मजबूत बने.
- जदयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का अभियान गति पकड़े.
2004 से राजनीति में सक्रिय हैंः संजय झा पहले बीजेपी में थे. बीजेपी से नीतीश कुमार की नजदीकयों के कारण जदयू में शामिल हो गये. तब से लगातार नीतीश कुमार के करीबी बने हुए हैं. 2006 में पहली बार विधान परिषद में नीतीश कुमार ने उन्हें भेजा. तीन टर्म जल संसाधन विभाग के मंत्री बने और अंत में जल संसाधन विभाग के साथ सूचना जनसंपर्क विभाग के मंत्री भी रहे. नीतीश कुमार ने पिछले दिनों वशिष्ठ नारायण सिंह के खाली हुए सीट पर उन्हें राज्यसभा भी भेजा है।
कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष की क्या होती है भूमिका ः राजनीति के जानकार का कहना है कि कार्यकारी अध्यक्ष का मतलब तभी होता है जब राष्ट्रीय अध्यक्ष मौजूद नहीं हों या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारी अध्यक्ष को कोई मिशन सौंपे तो उसे पूरा करेंगे. नीतीश कुमार हाल के महीनों में राजनीति में संगठन स्तर पर बहुत एक्टिव नहीं दिखे हैं, ऐसे में संजय झा की भूमिका बढ़ेगी. नीतीश कुमार की सहमति से संजय झा बड़े फैसले भी लेंगे।
क्या है नीतीश कुमार की तैयारी : नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग के मास्टर माने जाते हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू के खराब परफॉर्मेंस के बाद कई तरह का प्रयोग किया है. लोकसभा चुनाव में भी जदयू को चार सीटों का नुकसान हुआ है तो उन सबको लेकर विधानसभा चुनाव से पहले एक तरह का नया सोशल इंजीनियरिंग तैयार कर रहे हैं. शाहबाद में उस क्षेत्र के बड़े कुशवाह नेता भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद में भेजने की तैयारी है. लोकसभा में संसदीय दल का नेता दिलेश्वर कामत को बनाकर अति पिछड़ा वोट बैंक और कोसी बेल्ट को साधने की कोशिश हुई है. अब संजय झा के माध्यम से मिथिलांचल पर अपनी पकड़ और मजबूत बनाने की कोशिश होगी।