बिहार में सत्ता बदलाव की अटकलों को उस समय विराम लग गया जब सीएम नीतीश कुमार ने 6 सितंबर को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने ये सफाई दे डाली कि वो आरजेडी के साथ जाने की दो बार गलती कर चुके हैं, तीसरी बार नहीं करेंगे. नीतीश के बयान के बाद आरजेडी इस कदर हमलावर है कि सारे मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है. पहले लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी ने विवादित ट्वीट किया और अब आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने सीएम के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है।
‘नीतीश ने खाई सिंदूर की कसम’:आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने नालंदा में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरजेडी से गठबंधन करने के बाद कहते हैं कि मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन बीजेपी में नहीं जाएंगे और 18 महीने बाद फिर बीजेपी में शामिल हो जाते हैं. आखिर कौन सा दवाब है जो बार बार इनको सफाई देनी पड़ता है कि अब इधर-उधर नहीं जाएंगे।
“इस बार तो कसम खा रहे हैं तीज के ही दिन सिंदूर की कसम खा रहे हैं. कह रहे हैं कि भाई अब दो बार हो गया अब हम नहीं जाएंगे. आखिर बार-बार नीतीश कुमार को सफाई देनी क्यों पड़ रही है ? आखिर वो कौन-सा दबाव है ? इनके शागिर्दों ने इनकी मानसिक स्थिति को इस जगह पर लाकर कैसे खड़ा कर दिया ?”- शक्ति सिंह यादव, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आरजेडी
प्रशांत किशोर पर भी बेतुका बयानः सीएम नीतीश कुमार के साथ-साथ शक्ति सिंह यादव ने जन सुराज यात्रा के सूत्रधार और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के लिए भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. शक्ति सिंह ने कहा कि इसने गुजरात से दलाली की शुरुआत की थी और अब बिहार में राजनीति करने आया है।
“ऐसे-ऐसे कितने कुकुरमुत्ते जैसी पार्टी बनी और चली गई. जिस कांग्रेस पार्टी ने पूरे खानदान को ताज पहनाया जब उसका नहीं तो किसका हो सकता है? ये बीजेपी की बी-टीम है. प्रशांत किशोर ने जिस पार्टी के लिए जिन-जिन राज्यों में कार्य किया है वह पार्टी कमजोर हुई है.”- शक्ति सिंह यादव, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आरजेडी
छवि बदलने की कवायद का क्या होगा ?: एक तरफ तो आरजेडी नेता तेजस्वी यादव आरजेडी की छवि बदलने की कवायद में जुटे हुए हैं. उसी कवायद के तहत तेजस्वी ने आरजेडी कार्यकर्ताओं-नेताओं से हरे गमछे की जगह हरी टोपी और बैज के इस्तेमाल के निर्देश दिए हैं. लेकिन आरजेडी नेता जिस तरह से एक के बाद एक विरोधी नेताओं के लिए विवादित भाषा का इस्तेमाल करते हैं उससे तेजस्वी की कवायद को पलीता लग सकता है।