मोदी 3.0 सरकार का शपथ ग्रहण आठ जून को हो सकता है। इससे पहले बुधवार को एनडीए की बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मिति से नरेंद्र मोदी को नेता चुना गया। इस सरकार में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की बड़ी भूमिका है। दोनों ही मोदी सरकार में शामिल हो रहे है।शुक्रवार को जेडीयू की बैठक दिल्ली में होगी उसमें मंत्री पद और सरकार में शामिल होने को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।जेडीयू एक देश एक चुनाव को लेकर मोदी के फैसले के साथ है लेकिन अग्निवीर और यूसीसी को लेकर नीतीश कुमार सहमत नहीं है वो इसपर फिर से विचार करने की सलाह एनडीए सरकार को देंगे।
नीतीश कुमार इस सरकार में तीन मंत्री का पद चाहते है। मोदी 2.0 के कार्यकाल में भी नीतीश कुमार की यही डिमांड थी, लेकिन तत्कालीन जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह सबको पीछे छोड़ते हुए मोदी कैबिनेट में शामिल हो गया। इसका खामियाजा आरसपी को उठाना पड़ा, पहले पार्टी अध्यक्ष पद ले लिया गया और बाद में राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हे फिर से राज्यसभा नहीं भेजा गया। उनकी जगह झारखंड से खीरू महतो को राज्यसभा जेडीयू ने भेज दिया। नाराज आरसीपी ने जेडीयू छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ले ली।
समय का चक्र बदला अब जेडीयू एनडीए की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है और माना जा रहा है कि सरकार की एक चाभी नीतीश के पास ही है, जिसपर विपक्ष लगातार डोरे डाल रहा है। इस बार नीतीश तीन मंत्री का पद चाहते है, इसमें दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद। पहले चर्चा थी कि वो लोकसभा अध्यक्ष का पद भी चाहते है लेकिन अब उनको लोकसभा अध्यक्ष बीजेपी का होने में कोई एतराज नहीं है क्योकि राज्यसभा में उपसभापति का पद अभी जेडीयू के पास है। जेडीयू के हरिवंश अभी राज्यसभा में उपसभापति है। जेडीयू की ओर से मंत्री पद के कई दावेदार है लेकिन जातीय समीकरण को बैठाकर नीतीश केंद्र में मंत्री पद चाहते है। नीतीश के करीबी रहे ललन सिंह और संजय झा कैबिनेट में शामिल होने के प्रबल दावेदार है। वही दिलेश्वर कामत और रामनाथ ठाकुर को भी मंत्री पद का बड़ा दावेदार माना जा रहा है। नीतीश केंद्र में अपने सबसे करीबी लोगों को ही मंत्री बनाने चाहते है ताकि केंद्र का ज्यादा से ज्यादा फंड बिहार आ सके। माना जा रहा है कि ललन सिंह और संजय झा दोनों कैबिनेट में मंत्री बन सकते है और राज्यसभा सांसद और कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर या सुपौल से सांसद दिलेश्वर कामत राज्यमंत्री बन सकते है। पिछले मोदी सरकार में भी ललन सिंह मंत्री बनना चाहते थे लेकिन आरसीपी सिंह के चाल के आगे उन्हे मात खानी पड़ी।