“मुख्यमंत्री बनने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं”, PK ने कहा- मेरा एकमात्र लक्ष्य राज्य के लोगों की स्थिति में सुधार करना

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जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) ने सोमवार को स्पष्ट किया कि बिहार का मुख्यमंत्री बनने की उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है बल्कि उनका एकमात्र लक्ष्य राज्य के लोगों की स्थिति में सुधार करना है।

किशोर ने इमामगंज विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार जीतेंद्र पासवान के पक्ष में सोमवार को कई जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग लोगों के बीच यह धारणा बनाने में लगे हैं कि वे बिहार के मुख्यमंत्री बनने के लिए राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों के बीच बनाई जा रही ऐसी धारणा बिल्कुल भी सच नहीं है और उनकी एकमात्र महत्वाकांक्षा राज्य के लोगों की स्थिति में सुधार करना है। पीके ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करीब 35 साल तक बिहार की सत्ता पर काबिज रहे और दोनों ने चुनावी लाभ लेने के लिए समाज को जाति के आधार पर बांटा।

‘राज्य के लोगों की सेवा के लिए ‘जन सुराज’ को मौका दिया जाए’
पीके ने आरोप लगाया कि लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों ने बिहार के लोगों के कल्याण और विकास के लिए कुछ नहीं किया। यादव ने केवल अपने परिवार के सदस्यों को बढ़ावा दिया जबकि नीतीश कुमार किसी भी तरह मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए फैसले लेते रहे। लेकिन, अब समय आ गया है कि इन दोनों से छुटकारा पाया जाए और राज्य के लोगों की सेवा के लिए ‘जन सुराज’ को मौका दिया जाए।

‘लोगों को ‘जात और भात’ की बाधाओं से बाहर आना चाहिए’
किशोर ने कहा कि बिहार के नेता और अधिकारी इतने भ्रष्ट हैं कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए पांच किलोग्राम प्रति व्यक्ति के निर्धारित कोटे के बजाय लोगों को चार किलोग्राम अनाज दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल कुछ किलोग्राम मुफ्त अनाज के बदले वोट पाने में कामयाब रहे और उन्होंने युवाओं के रोजगार के लिए कुछ नहीं किया। पीके ने कहा, ‘‘लोगों को ‘जात और भात’ (जाति और राशन) की बाधाओं से बाहर आना चाहिए और अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।” उन्होंने विश्वास जताया कि बिहार की सभी चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में‘जन सुराज’ के उम्मीदवार विजयी होंगे।