जान पर खेलकर स्कूल जाने की जरूरत नहीं! बाढ़ इलाके के शिक्षकों के अटेंडेंस को लेकर शिक्षा विभाग का नया निर्देश
पटना के दानापुर के नासरीगंज घाट पर शुक्रवार को स्कूल जाने के लिए नाव पर चढ़ने के क्रम में एक शिक्षक गंगा नदी में गिर गए और गहरे पानी में डूब गए. इस घटना को लेकर शिक्षकों में काफी आक्रोश है और शिक्षकों का कहना है कि समय पर स्कूल पहुंचने की पाबंदी के कारण प्रतिदिन जान खतरे में डालकर नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता है।
शिक्षा विभाग ने उठाया कदम: बाढ़ के समय में नाव से नदी पार कर स्कूल जाने में हमेशा शिक्षकों की जान को खतरा रहता है. घाट पर ना ही नाव पर सुरक्षा का कोई प्रबंध होता है. ऐसे में अब शिक्षा विभाग ने कहा है कि जो नदी पार करके शिक्षक आते हैं उनके लिए 1 घंटे विलंब से पहुंचने पर भी स्कूल में उन्हें अनुपस्थित नहीं माना जाएगा।
शिक्षकों को मिली बड़ी राहत: शिक्षा विभाग के सचिव ने सभी जिला पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि अगर कुछ विशेष काम से शिक्षक या विद्यालय के कर्मी निर्धारित समय पर नहीं पहुंचते हैं तो विलंब से दर्ज उपस्थिति मान्य होगी. 1 घंटे तक की विलंब से उपस्थित मान्य की जाएगी और यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
शिक्षकों के लिए हो ये खास व्यवस्था: इसके अलावा उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि जिन घाटों से शिक्षक, विद्यालय की कमी और स्कूली बच्चे नदी पार करके आते जाते हैं, उन घाटों पर सरकारी नाव की व्यवस्था की जाए. नाव पर पर्याप्त संख्या में लाइफ जैकेट उपलब्ध कराई जाए और ऐसे सभी घाटों पर जिला प्रशासन की ओर से गोताखोरों की भी व्यवस्था की जाए।
घटना पर शिक्षा सचिव ने जताया दुख: शिक्षा सचिव बैद्यनाथ यादव ने कहा है कि राज्य के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में स्थित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों को विद्यालय में आने और जाने में नदी पार करने के लिए नाव का उपयोग करना पड़ रहा है. इससे स्कूल में समय पर पहुंचने में कठिनाई आ रही है. इन स्थितियों को देखते हुए यह जरूरी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
“दानापुर के नासरीगंज घाट पर शिक्षक की डूबने से हुई मौत पर काफी दुख है. ऐसी घटना दोबारा ना हो इसको लेकर विद्यालय जाने और लौटने लिए निर्धारित समय को ध्यान में रखकर नाव खुलने का समय निर्धारित किए जाने का जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है.”-बैद्यनाथ यादव, शिक्षा सचिव
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