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सर्वे में नहीं होगी किसी को दिक्कत, बोले मंत्री..जमीन पर जिसका कब्जा वही माना जाएगा रैयत

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बिहार में ज्यादातर आपराधिक वारदात भूमि विवाद को लेकर होता है। इस बड़ी  समस्या को दूर करने का बीड़ा नीतीश सरकार ने उठाया है। 20 अगस्त से बिहार में जमीन के सर्वे का काम शुरू किया गया है। सर्वे का काम जुलाई 2025 तक पूरा किया जाएगा। भूमि का सर्वेक्षण होने से जमीन से जुड़े झगड़े कम होंगे। जमीन का डिजिटल डाटा तैयार होने से इसका फायदा सीधे तौर पर बिहार के लोगों को मिलेगा।

बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने यह साफ कर दिया है कि जमीन पर जिसका कब्जा होगा उन्हीं को रैयत माना जाएगा। भूमि के सर्वे से किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने यह कहा कि यदि को जमीन के सर्वे में पैसा मांगता है तो इसकी शिकायत हमसे कीजिए उसको टांगने का काम हम करेंगे।

बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने फर्स्ट बिहार से बातचीत के दौरान कहा कि बिहार में सर्वे का काम चल रहा है। 22 हजार गांव में ग्राम सभा लगाया जा चुका है। उसमें वहां के मुखिया, पंचायत समिति और वार्ड सदस्य को कहकर पूरे गांव के लोगों को इकट्ठा करके बताते हैं कि इसमें बहुत ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सारा कागजात हमारे पोर्टल पर राजस्व कर्मचारी के पास उपलब्ध है। यदि किसी तरह की कागजात की कमी होगी तभी हम उसकी मांग करेंगे। कागजात को बनाने के लिए समय दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि गांव में होता है कि परिवार के सभी लोग अपनी-अपनी जमीन को आपस में बांट लेते हैं वह जमीन उनके कब्जे में रहता है। वैसी परिस्थिति में चिंता करने की जरूरत नहीं है। जो वंशावली और आपस में जो सहमति बनाकर देंगे वही जमीन हम सर्वे में चढ़ाएंगे। यदि किसी के पास कोई कागजात नहीं है उन्हें कागज बनाने के लिए पूरा समय दिया जाएगा।

उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि जमीन पर जिसका कब्जा होगा उसी को रैयत मानेंगे। सर्वे से किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि 130 साल में 1890 में सीएस सर्वे शुरू हुआ था। सौ साल बाद 1990 में आरएस (रिविजनल सर्वे) शुरू हुआ। विपक्ष की कुबत की बात नहीं थी कि वो 130 साल में बिहार की जमीन का सर्वे कराये। उन्ही लोगों का पाप है कि आज पूरे बिहार में जमीन विवाद में 60 प्रतिशत केस थाने में होता है और 35 प्रतिशत केस कोर्ट में जमीन विवाद का होता है। आजादी से लेकर आज तक जो सरकार थी उसकी इच्छा शक्ति बहुत कमजोर थी जिस कारण से उन्होंने बिहार में जमीन सर्वे का काम नहीं कराया।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में करीब 10 हजार स्पेशल सर्वे अमीन की नियुक्ति की गयी। जो सरकार का स्ट्रांग विल पावर है। जो काम 130 साल में नहीं हुआ उसे नीतीश कुमार कराने जा रही है। विपक्ष के लोग कहते हैं कि आपस में विवाद होगा ऐसी बात नहीं है। एक बार सर्वे हो गया और सब कुछ डिजिटल हो जाएगा तब जमीन का विवाद खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार किसी राजस्व मंत्री ने अपना मोबाइल नंबर पब्लिक डोमेन पर डाला है। लगातार फोन कॉल आ रहे हैं जिसे रिसिव किया जा रहा है और लोगों की समस्याएं सुनी जा रही है। यदि कोई सर्वे के काम में पैसा मांगता है तो उसे टांगने का काम राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल का है। यह मुझ पर छोड़ दीजिए।


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