राज्य के प्रारंभिक स्कूलों (कक्षा एक से आठ) के एक करोड़ नौ लाख बच्चों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में मध्याह्न भोजन योजना की स्वीकृति केन्द्र सरकार ने दी है। शिक्षा विभाग ने एक करोड़ 19 लाख का बच्चों का प्रस्ताव भेजा था पर इसमें कटौती की गयी है।
कुल 2179 करोड़ इस योजना के लिए केन्द्र की ओर से स्वीकृत किये गये हैं। राशि की स्वीकृति मिलने के बाद अब उम्मीद जगी है कि एक सप्ताह में इस वित्तीय वर्ष की पहली किस्त केन्द्र की ओर से जारी कर दी जाएगी। इस संबंध में विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिन तिमाही में सबसे अधिक बच्चों ने मध्याह्न भोजन खाया है, उसी आधार पर केन्द्र ने इस साल के लिए संख्या तय की है। 2023-24 में तीसरी तिमाही में स्कूलों में मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की सर्वाधिक संख्या रही थी, जिसके आधार पर एक करोड़ नौ लाख की स्वीकृति मिली है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की राशि की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण ही पहली किस्त केन्द्र से नहीं आ रही ही थी। पिछले वित्तीय वर्ष में मिली राशि से ही अब-तक का काम चल रहा था।
योजना में केन्द्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 60 40 की रहती है। इस प्रकार चालू वित्तीय वर्ष में केन्द्र से 1375.86 करोड़ तथा राज्य सरकार 804.94 करोड़ मध्याह्न भोजन योजना के लिए मिलेगी। इसके अलावा इस योजना में चावल केन्द्र सरकार की ओर से मिलता है। पहली किस्त आते ही जिलों को राशि जारी कर दी जाएगी।
68 हजार स्कूलों में मिलता है मध्याह्न भोजन
पटना। पिछले वित्तीय वर्ष में मध्याह्न भोजन योजना के तहत एक करोड़ आठ लाख बच्चों के लिए स्वीकृति मिली थी। इस तरह देखें तो इस साल एक लाख अधिक बच्चों की संख्या की स्वीकृति केन्द्र ने दिया है। इस योजना के तहत पहली से आठवीं कक्षा के स्कूलों में बच्चों को प्रतिदिन दोपहर का भोजन कराया जाता है। राज्य में करीब 68 हजार स्कूलों में मध्याह्न भोजन बच्चों को प्रतिदिन खिलाया जाता है। इनमें करीब दस हजार ऐसे स्कूल हैं, जहां पर विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से पकाया हुआ भोजन पहुंचाया जाता है। वहीं, शेष 58 हजार स्कूलों में रसोइयों और सहायकों की ओर से भोजन पकाया जाता है। इसके लिए दो लाख से अधिक रसोइया और सहायक कार्यरत हैं। मध्याह्न भोजन योजना को और बेहतर और प्रभावी बनाने को लेकर ही पिछले महीने शिक्षा विभाग के आठ अधिकारियों की टीम तमिलनाडु का दौरा कर लौटी है। तमिलनाडु में ही देश में सबसे पहले मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत हुई थी। टीम की अनुशंसा पर विभाग इस योजना में कुछ बदलाव भी कर सकता है।