बिहार के सभी बीएड कॉलेजों में अब साइंस लैब बनेगा। एनसीटीई (नेशनल काउंसिल टीचर एजुकेशन) की तरफ से शुरू हो रहे चार वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स के लिए बीएड कॉलेजों की संरचना में बदलाव किया जाएगा। एनसीटीई ने सभी बीएड कॉलेजों को इंटीग्रेटेड बीएड के हिसाब से बदलाव करने को कहा है। इसके लिए एनसीटीई की ओर से आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
दरअसल, एनसीटीई ने बीआरएबीयू समेत सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि वह दिसंबर तक कॉलेजों की क्षमता का आकलन कर इसकी रिपोर्ट तैयार करें और भेजें। बीआरएबीयू के इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेज प्रो. अरविंद कुमार ने बताया कि एनसीटीई के निर्देश के अनुसार काम किया जा रहा है। पूरे बिहार में अभी सिर्फ बीआरएबीयू के चार बीएड कॉलेजों में चार वर्षीय बीएड कोर्स चल रहा है। अभी तक चार वर्षीय कोर्स में 400 छात्रों का दाखिला है।
मालूम हो कि, बीएड कॉलेजों को चार वर्षीय कोर्स चलाने के लिए 10 बिंदुओं पर खरा उतरना होगा। इन बिंदुओं में कॉलेज को 30 वर्ष पुराना होना चाहिए। कॉलेज को नैक का एक्रीडेशन होना चाहिए। क्लास रूम और सभी संकाय के शिक्षक होने चाहिए। कॉलेज की एनआईआरएफ रैंकिंग होनी चाहिए। ऐसे ही दस बिंदुओं पर खरा उतरने के बाद ही कॉलेज चार वर्षीय बीएड कोर्स चलाने के योग्य माना जाएगा। एनसीटीई ने विश्वविद्यालयों को अपने निरीक्षण में देखने को कहा है कि कॉलेज की आधारभूत संरचना कैसी है और तय दस बिंदुओं पर कॉलेज कहां तक खरे उतर रहे हैं।
उधर, बीएससी बीएड के छात्रों के प्रैक्टिकल के लिए यह लैब बनाया जायेगा। इसमें विज्ञान के छात्र सिलेबस के अनुसार प्रैक्टिकल कर सकेंगे। स्नातक की तरह यहां भी प्रैक्टिकल के नंबर परीक्षा में जुड़ेंगे। बीएड करने वालों को इसका लाभ नौकरी में मिलेगा। बीएससी बीएड करने वाले छात्रों के लिए साइंस लैब करना जरूरी होगा। इसमें स्नातक स्तर के विज्ञान से जुड़े सारे प्रैक्टिकल के उपकरण रहेंगे। केमिकल से लेकर बीकर तक इस लैब में मौजूद रहेंगे। प्रशिक्षण करने वालों को प्रैक्टिकल कराया जाएगा ताकि वे स्कूलों में छात्र छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकें।