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अब एसपी करेंगे डायल 112 के वाहनों की निगरानी

ByKumar Aditya

अक्टूबर 17, 2024
Dial 112 bihar police scaled

भागलपुर। जिलों में गश्ती को सुदृढ़ करने के लिए ईआरएसएस (इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम) यानी डायल 112 के वाहनों का भी इस्तेमाल होगा। इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। पुलिस मुख्यालय ने इसको लेकर भागलपुर सहित सभी जिलों को लिखा है। डायल 112 के वाहनों के मूवमेंट और उसकी सही जानकारी के लिए जिले में एसपी स्तर पर कंट्रोल रूम बनाने की तैयारी हो रही है। गृह विभाग की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। बैठक में एडीजी मुख्यालय भी शामिल हुए।

खाली समय में डायल 112 के वाहनों से कराई जाएगी गश्ती

डायल 112 के लिए शहरी क्षेत्र में ग्रिड तय किया गया है। उक्त ग्रिड में वाहन का लोकेशन रहता है। संबंधित ग्रिड के तहत रहने वाले किसी शख्स की शिकायत पर उक्त वाहन के पदाधिकारी को कंट्रोल रूम से सूचना दी जाती है और तब टीम वहां पहुंचती है। शिकायत नहीं मिलने

पर वाहन को किसी एक जगह पर खड़ी कर पदाधिकारी और जवान वहीं पर रहते हैं। ऐसे में उनका सही इस्तेमाल नहीं हो पाता। शिकायत मिलने से पहले और उसका निपटारा करने के बाद उक्त वाहन का इस्तेमाल किया जाएगा। कंट्रोल रूम से वाहन का लोकेशन प्राप्त होगा और जरूरत पड़ने पर उसे वहां गश्ती के लिए भेजा जा सकेगा।

ऐसे काम करता है इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम 

आपात स्थिति में राज्य के किसी भी जिले से किसी व्यक्ति के द्वारा डायल 112 कॉल किए जाने पर पटना स्थित सेंट्रल कॉल सेंटर को सूचना जाती है और कॉल करने वाला का लोकेशन वहां प्राप्त हो जाता है। कॉल सेंटर से उक्त शख्स से परेशानी की जानकारी ली जाती है। उस व्यक्ति का नाम और लोकेशन संबंधित ग्रिड में प्रतिनियुक्त वाहन को भेज दिया जाता है। डायल 112 के उस लोकेशन में मौजूद वाहन तक सूचना मिलते ही वाहन में मौजूद पदाधिकारी और जवान शिकायतकर्ता के पास पहुंच जाते हैं। मिली शिकायत के समाधान के बाद सेंट्रल कॉल सेंटर को सूचना भी दिए जाने का प्रावधान है। डायल 112 का वाहन तकनीक से लैस है जिसमें फर्स्ट ऐड इमरजेंसी किट भी उपलब्ध रहता है।

तय सीमा के अंदर वाहनों की गश्ती होगी अनिवार्य

इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) के तहत डायल 112 की सीमा तय करने के साथ ही स्कूल, कॉलेज और वैसे स्थानों को चिह्नित किया जाएगा, जहां अपराध की घटनाएं ज्यादा होती हैं। उन जगहों पर रात्रि और दिन की गश्ती को सुदृढ़ किया जाएगा। यही वजह है कि जिओ फेंसिंग के तहत डायल 112 के वाहनों के लिए सीमाएं तय की जा रही हैं। तय सीमा के अंदर वाहनों की गश्ती अनिवार्य होगी।


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