नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को संविधान के संस्कृत और मैथिली अनुवादों का अनावरण किया। राष्ट्रपति ने संविधान को देश का सबसे पवित्र ग्रंथ बताया है। संसद के संविधान कक्ष में आयोजित समारोह में मंगलवार को राष्ट्रपति ने कहा यह लोकतांत्रिक गणतंत्र की आधारशिला है।
उन्होंने कहा कि संविधान की भावना के अनुसार कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का दायित्व मिल-जुलकर नागरिकों के जीवन को सुगम बनाना है। संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियमों से जन आकांक्षाओं को मजबूती मिली है।
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने देश के सभी वर्गों, विशेष रूप से कमजोर वर्ग के विकास के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इससे उनका जीवन बेहतर हुआ है तथा उन्हें प्रगति के अवसर मिल रहे हैं। मुर्मु ने कहा कि हमारा संविधान, हमारे सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान को सुनिश्चित करता है।