बाल दिवस पर जानिए नेहरु के बारे में फैली 10 बातों की पूरी सच्चाई
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और भारतीय गणराज्य के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था और उनका योगदान भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति में अतुलनीय है। उनका जन्मदिन हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, उनके जीवन और कार्यों को लेकर अक्सर कई मिथक और अफवाहें भी फैलाई जाती रही हैं। आइए जानते हैं पंडित नेहरू के बारे में फैली हुई 10 प्रमुख बातों की सच्चाई:
- नेहरू ने भारत के विभाजन को स्वीकार किया
मिथक: कई लोग यह मानते हैं कि पंडित नेहरू ने भारत के विभाजन को स्वीकार किया और विभाजन के दौरान पाकिस्तान को लेकर उनके विचार कमजोर थे।
सच्चाई: पंडित नेहरू ने विभाजन को लेकर बहुत दुख और आक्रोश महसूस किया। हालांकि, विभाजन को टालने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन अंततः विभाजन हुआ। नेहरू ने भारत की अखंडता और एकता के लिए हमेशा संघर्ष किया और विभाजन के बाद एक नए राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- नेहरू ने शिक्षा के महत्व को कम किया था
मिथक: कुछ लोग मानते हैं कि पंडित नेहरू ने शिक्षा को महत्व नहीं दिया और उनका ध्यान केवल राजनीति और प्रशासन पर था।
सच्चाई: पंडित नेहरू ने शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी। उन्होंने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के लिए कई कदम उठाए। उनका विश्वास था कि शिक्षा के माध्यम से ही देश का भविष्य उज्जवल होगा। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जैसे संस्थानों की नींव रखी।
- नेहरू ने पाकिस्तान को सख्ती से नहीं निपटा
मिथक: कुछ लोग यह कहते हैं कि पंडित नेहरू ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए और उनके साथ बहुत नरम रहे।
सच्चाई: पंडित नेहरू ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए थे, खासकर कश्मीर मुद्दे पर। 1947 में कश्मीर में पाकिस्तानी आक्रमण के बाद नेहरू ने पूरी दुनिया में कश्मीर के मामले को उठाया। हालांकि, उन्होंने हमेशा शांति और बातचीत के रास्ते को प्राथमिकता दी, लेकिन पाकिस्तान से लगातार संघर्ष होता रहा।
- नेहरू की राजनीति सिर्फ परिवार तक सीमित थी
मिथक: यह माना जाता है कि पंडित नेहरू की राजनीति केवल उनके परिवार के लिए थी और उन्होंने सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों को ही महत्वपूर्ण पदों पर रखा।
सच्चाई: पंडित नेहरू ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए कई संस्थाओं का निर्माण किया और भारत को एक मजबूत गणराज्य के रूप में स्थापित किया। उन्होंने केवल अपने परिवार को नहीं बल्कि भारतीय जनता को केंद्र में रखा। उनकी नीतियों में गरीबों, महिलाओं और दलितों के उत्थान के लिए कई कदम उठाए गए।
- नेहरू ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद शांति की कोई कोशिश नहीं की
मिथक: कुछ लोग यह कहते हैं कि पंडित नेहरू ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद शांति स्थापित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया था।
सच्चाई: महात्मा गांधी की हत्या के बाद पंडित नेहरू ने भारतीय समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने देश को एकजुट करने के लिए भाषण दिए और धार्मिक उन्माद को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए। उनका आदर्श हमेशा महात्मा गांधी की अहिंसा और सद्भावना पर आधारित था।
- नेहरू का विदेशी नीतियों पर अत्यधिक झुकाव था
मिथक: यह कहा जाता है कि पंडित नेहरू ने भारतीय विदेश नीति को पूरी तरह से पश्चिमी देशों के पक्ष में कर दिया था।
सच्चाई: पंडित नेहरू की विदेश नीति गैर-अलाइंस आंदोलन के सिद्धांत पर आधारित थी, जिसका उद्देश्य भारत को किसी भी महाशक्ति के प्रभाव से बाहर रखना था। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता, अखंडता और सुरक्षा के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष विदेश नीति बनाई। उन्होंने चीन के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश की, लेकिन 1962 में युद्ध के बाद उनके दृष्टिकोण में बदलाव आया।
- नेहरू ने भारत के पारंपरिक संस्कृतियों को नजरअंदाज किया
मिथक: यह भ्रम फैलाया गया है कि पंडित नेहरू ने भारतीय पारंपरिक संस्कृति और धार्मिक प्रथाओं को नजरअंदाज किया।
सच्चाई: पंडित नेहरू ने भारतीय संस्कृति के समृद्ध इतिहास और परंपराओं का हमेशा सम्मान किया। हालांकि, उन्होंने यह भी महसूस किया कि देश को विकास और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार जरूरी था। उनका ध्यान भारतीय समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास पर था, लेकिन यह उनके विचारों में भारतीय संस्कृति का आदान-प्रदान किए बिना नहीं था।
- नेहरू ने सभी समस्याओं को अपने तरीके से हल किया और विपक्ष की अनदेखी की
मिथक: यह विचार किया जाता है कि पंडित नेहरू ने हमेशा अपने तरीके से ही समस्याओं का समाधान किया और विपक्ष को दरकिनार कर दिया।
सच्चाई: पंडित नेहरू के शासनकाल में कई बार विपक्षी दलों ने अपनी आवाज उठाई, और पंडित नेहरू ने उनके विचारों को सुनने और समझने की कोशिश की। हालांकि, उनके दृष्टिकोण के बारे में कई बार आलोचनाएं भी हुईं, लेकिन उन्होंने हमेशा लोकतांत्रिक प्रक्रिया और विपक्षी विचारों का सम्मान किया।
- नेहरू ने भारतीय समाज की धर्मनिरपेक्षता को कमजोर किया
मिथक: यह भी कहा जाता है कि पंडित नेहरू ने भारतीय समाज की धर्मनिरपेक्षता को कमजोर किया।
सच्चाई: पंडित नेहरू ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया और भारतीय समाज में धार्मिक विविधता को सम्मान दिया। उन्होंने संविधान में धर्मनिरपेक्षता को शामिल किया और यह सुनिश्चित किया कि भारत में हर धर्म को समान अधिकार मिलें। उनके प्रयासों से ही भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की नींव मजबूत हुई।
- नेहरू का योगदान केवल राजनीति तक सीमित था
मिथक: यह माना जाता है कि पंडित नेहरू का योगदान केवल राजनीति तक ही सीमित था और उनके अन्य क्षेत्रों में कोई योगदान नहीं था।
सच्चाई: पंडित नेहरू का योगदान राजनीति के साथ-साथ सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विकास में भी था। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति के लिए कई संस्थान स्थापित किए और भारतीय संस्कृति और साहित्य को प्रोत्साहित किया। उनका दृष्टिकोण हमेशा समाज के समग्र विकास का था, न कि केवल राजनीति तक सीमित रहने का।
पंडित नेहरू भारतीय राजनीति और समाज के प्रेरणास्त्रोत बने रहे। उनकी नीतियों, विचारों और योगदानों की सच्चाई को समझने के लिए हमें उन अफवाहों और मिथकों से बचना चाहिए जो उनके कार्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं। 14 नवंबर को उनके योगदानों को सम्मानित करने का सही तरीका यही है कि हम उनके वास्तविक कार्यों और दृष्टिकोण को समझें।
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